किसान पराली जलाने की बजाय वैज्ञानिक तरीकों से बनाएं खेत उपजाऊ

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· कृषि विभाग की ओर से ब्लॉक अहमदगढ़ के गांवों में जागरूकता कैंपों का सिलसिला जारी
· धान की पराली से मिट्टी बनती है अधिक उपजाऊ, स्वास्थ्यवर्धक और कार्बन से भरपूर – कृषि विशेषज्ञ
· गांव संडौर, माणकी, कस्बा भराल में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों और इसके वैज्ञानिक       प्रबंधन के बारे में दी जानकारी

मलेरकोटला ,05 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Punjab Desk: डिप्टी कमिश्नर मलेरकोटला विराज एस. तिड़के के निर्देशानुसार, मुख्य कृषि अधिकारी धरमिंदरजीत सिंह के नेतृत्व में ब्लॉक अहमदगढ़ के विभिन्न गांवों में धान की पराली के सही प्रबंधन संबंधी किसान जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

इस अभियान के तहत गांव संडौर, माणकी, कस्बा भराल आदि में कृषि विभाग की टीमों ने किसानों से सीधी बातचीत की और उन्हें पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों तथा इसके वैज्ञानिक प्रबंधन के उपायों के बारे में जानकारी दी।

विभाग के ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर मोहम्मद जमी़ल ने कैंपों के दौरान बताया कि पराली को खेत में मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। उन्होंने कहा कि इससे मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, पोषक तत्वों की पूर्ति होती है और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया मिट्टी को जीवंत बनाती है और खेतों को अधिक उत्पादक करती है।

इसी तरह टेक्नोलॉजी मैनेजर मंदीप सिंह चहल ने मिट्टी की जांच के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को मिट्टी का नमूना लेने की विधि समझाई और बताया कि मिट्टी परीक्षण से खादों की सही मात्रा निर्धारित की जा सकती है, जिससे खर्च कम और उत्पादन अधिक होता है।

उन्होंने यह भी बताया कि पराली को जलाने से वातावरण में जहरीली गैसें निकलती हैं, जो मनुष्य, पशु-पक्षी और मिट्टी – सभी के लिए हानिकारक हैं। इसलिए हर किसान का कर्तव्य है कि वह पराली जलाने की बजाय आधुनिक तकनीकें जैसे मल्चर, हैपी सीडर, सुपर एस.एम.एस. आदि का उपयोग करे।

कृषि विभाग ने यह अपील भी की कि सभी किसान सब्सिडी पर उपलब्ध मशीनों का प्रयोग कर पराली का सही प्रबंधन करें और हरित, प्रदूषण-रहित पंजाब के निर्माण में भागीदार बनें।