06 दिसंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Business Desk: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले चार दिनों से उड़ान रद्द और बढ़ती टिकट कीमतों की समस्या से जूझ रही है। एयरलाइन ने इसे नए एफडीटीएल (Flight Duty Time Limitation) नियमों का परिणाम बताया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो के पास तैयारी का पर्याप्त समय था। इस वजह से यह सवाल उठ रहा है कि क्या एयरलाइन ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए जानबूझकर उड़ानों में अव्यवस्था पैदा की।
जनवरी 2024 में पायलट यूनियन की याचिका के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने पायलटों के थकान और लंबी ड्यूटी पर सुरक्षा जोखिम के कारण नए एफडीटीएल नियम लागू करने को कहा। ये नियम जुलाई 2025 से प्रभावी हुए और नवंबर में उनके दूसरे चरण में नाइट शिफ्ट पर कड़ी पाबंदियां आईं। 2 दिसंबर से बड़े एयरपोर्ट्स पर उड़ानों का संचालन प्रभावित हुआ, ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर 19.7% तक पहुँच गई और 4 दिसंबर को लगभग 800 उड़ानें रद्द हो गईं। कई रूट्स पर टिकट 10,000 रुपये से बढ़कर 40,000 रुपये तक बिके।
एयरलाइन ने डीजीसीए के साथ बैठक में स्वीकार किया कि क्रू रोस्टरिंग के लिए पर्याप्त पायलट और केबिन क्रू उपलब्ध नहीं थे। इंडिगो के पास नए नियम लागू करने के लिए 9 महीने का समय था, लेकिन उसने पर्याप्त भर्ती नहीं की। विशेषज्ञों का कहना है कि एयरलाइन ने सरकार को नियमों में ढील देने के लिए दबाव बनाने की रणनीति अपनाई।
अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में, अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन में पायलटों के आराम और उड़ान घंटे कड़े तरीके से तय हैं। भारत के नए डीजीसीए नियमों के तहत पायलट दिन में अधिकतम 10 घंटे और रात में 8 घंटे उड़ सकते हैं, दो पायलट होने पर कुल ड्यूटी 13 घंटे तक बढ़ सकती है। लगातार सिर्फ दो नाइट शिफ्ट की अनुमति है, और उल्लंघन पर एयरलाइन पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो की हिस्सेदारी 60-65% होने के कारण यह संकट पूरे घरेलू विमानन उद्योग की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। मोनोपोली के कारण एक एयरलाइन की ऑपरेशनल विफलता राष्ट्रीय स्तर पर हवाई यातायात को प्रभावित कर सकती है और अप्रत्यक्ष रूप से नीतिगत दबाव बनाने का खतरा पैदा करती है।













