रूसी तेल प्रतिबंध के बीच भी भारतीय रिफाइनरियों की कमाई मजबूत, फिच रेटिंग्स ने जताया भरोसा

रूसी तेल प्रतिबंध के बीच भी भारतीय रिफाइनरियों की कमाई मजबूत, फिच रेटिंग्स ने जताया भरोसा

17 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Business Desk:  रूसी तेल प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय रिफाइनरियों की कमाई मजबूत, ओएमसी का मार्जिन स्थिर
फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी भारतीय तेल कंपनियों की कमाई पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट बताती है कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के रिफाइनिंग मार्जिन मजबूत बने रहेंगे।
अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों—रोसनेफ्ट और लुकोइल—पर प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन इसके बावजूद भारतीय कंपनियों का मार्जिन स्थिर रहने की उम्मीद है। भारत को अब तक सस्ते कच्चे तेल और गैस ऑयल के बेहतर दामों का लाभ मिला है, जिससे रिफाइनिंग मार्जिन 6 से 7 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो पिछले साल से थोड़ा बेहतर है।

मार्जिन पर असर कम रहने की उम्मीद
फिच के अनुसार, रूसी तेल और उससे बने उत्पादों पर प्रतिबंधों का भारतीय कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन या क्रेडिट प्रोफाइल पर बड़ा असर नहीं होगा। प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रतिबंध कितने समय तक और किस सख्ती से लागू रहते हैं।

भारत के लिए रूस मुख्य आपूर्तिकर्ता
जनवरी से अगस्त 2025 तक भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी लगभग 33% रही। रूसी तेल पर मिल रही छूट ने भारतीय ओएमसी की लाभप्रदता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रूसी तेल की मांग में गिरावट संभव
रिपोर्ट में बताया गया कि प्रतिबंधों के कारण रूसी कच्चे तेल आधारित उत्पादों की वैश्विक मांग घट सकती है, जिससे उत्पादों की कीमतों में अंतर बढ़ सकता है। हालांकि, इससे रिफाइनरियों को लाभ भी मिल सकता है, क्योंकि वे छूट वाले रूसी तेल का कम उपयोग कर महंगे विकल्पों की ओर रुख करेंगी।

जो कंपनियां रूसी तेल का उपयोग जारी रखेंगी, उन्हें और बड़ी छूट मिल सकती है, जो उनकी लागत घटाने में मदद करेगी।
कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रह सकती हैं
फिच का अनुमान है कि वैश्विक बाजार में अतिरिक्त आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। 2026 में ब्रेंट क्रूड लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है, जो 2025 के 70 डॉलर के अनुमान से कम है।

निजी कंपनियों को यूरोप निर्यात में मुश्किलें
यूरोप को अधिक निर्यात करने वाली निजी रिफाइनरियां नियमों के कारण मुश्किलें झेल सकती हैं, क्योंकि मिश्रित कच्चे तेल में स्रोत की पहचान करना कठिन होता है। ऐसी कंपनियां अपने निर्यात बाजार बदल सकती हैं या नए अनुपालन सिस्टम अपना सकती हैं।

भारतीय ओएमसी का मुनाफा अनुमान के अनुरूप
वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में भारतीय ओएमसी की कमाई अनुमान के अनुसार रही। सस्ते क्रूड और मजबूत गैस ऑयल कीमतों से कंपनियों को लाभ मिला।
सरकार ने सब्सिडी वाले LPG पर अंडर-रिकवरी पूरी करने के लिए IOC, HPCL और BPCL को 300 अरब रुपये की सहायता भी प्रदान की।