16 दिसंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
International Desk: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय कारोबारी समझौते के अंतिम मसौदे पर जल्द सहमति बनने की उम्मीद है। संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों या हफ्तों में इस समझौते की औपचारिक घोषणा भी कर दी जाएगी। टैरिफ को लेकर मतभेदों के बावजूद दोनों देश एक-दूसरे के आर्थिक हितों को साधने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
इस समझौते के तहत अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के आईपीओ की राह भी खुलती नजर आ रही है। फ्लिपकार्ट में चीनी कंपनी टेनसेंट की लगभग 5 फीसदी हिस्सेदारी है, जिस वजह से उसे प्रेस नोट-3 के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी होती है। अब संकेत हैं कि इस अंतिम बाधा को भी हरी झंडी मिल सकती है।
हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने फ्लिपकार्ट को अपना मुख्यालय सिंगापुर से भारत स्थानांतरित करने की मंजूरी दी है। वॉलमार्ट ने वर्ष 2018 में फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण किया था और अब उसे पूरी तरह भारतीय नियमों के दायरे में लाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसी कड़ी में फ्लिपकार्ट को वर्ष 2026 में भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट कराने की तैयारी है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत-अमेरिका बातचीत में ई-कॉमर्स नीति भी अहम मुद्दा रही है। भारत अभी विदेशी कंपनियों के लिए ई-कॉमर्स सेक्टर को पूरी तरह खोलने के पक्ष में नहीं है, लेकिन अमेरिकी कंपनियों को भरोसा देने के लिए फ्लिपकार्ट के आईपीओ में हरसंभव सहयोग देने को तैयार है।
इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया ‘शांति बिल’ भी भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इस बिल से अमेरिकी परमाणु कंपनियों के लिए भारत में निवेश और तकनीक आपूर्ति का रास्ता आसान होगा। साथ ही भारत द्वारा अमेरिका से एलपीजी आयात बढ़ाने और रक्षा सौदों को भी इसी व्यापक कारोबारी समझौते से जोड़कर देखा जा रहा है।













