29 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Politics Desk: एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त: “अगर बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर हुए, तो करेंगे त्वरित हस्तक्षेप”
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया गया, तो न्यायालय तत्काल हस्तक्षेप करेगा। यह टिप्पणी अदालत ने उस वक्त की जब याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई कि 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में लाखों लोगों को सूची से बाहर रखा जा सकता है।
सुनवाई स्थगित, पार्टियों से जवाब तलब
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 12-13 अगस्त तक के लिए टाल दी है और इस बीच याचिकाकर्ता राजनीतिक दलों को 8 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
प्रशांत भूषण ने उठाई 65 लाख मतदाताओं की चिंता
चुनाव सुधार संगठन एडीआर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 65 लाख लोगों ने गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान अपने गणना प्रपत्र नहीं भरे हैं। आयोग का मानना है कि ये लोग या तो मृत हैं या अपने निवास स्थान से पलायन कर चुके हैं। लेकिन भूषण ने इन व्यक्तियों को भी मतदाता सूची में बनाए रखने की मांग की।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और वह कानून के दायरे में कार्य करता है। हम आपकी चिंताओं को गंभीरता से ले रहे हैं और इस पर विचार करेंगे।”
“जिंदा हैं तो उदाहरण पेश करें”
पीठ ने यह भी कहा कि यदि ऐसे व्यक्ति मौजूद हैं जो वास्तव में जीवित हैं लेकिन उन्हें मृत घोषित कर सूची से हटाया जा रहा है, तो उनके नाम प्रस्तुत किए जाएं। “15 लोगों को लेकर आइए जो कहें कि वे जिंदा हैं,” अदालत ने कहा।
मसौदा सूची पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
राजद सांसद मनोज झा के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग पहले ही उन 65 लाख लोगों के नाम जानता है, तो आयोग ही उन्हें सूचीबद्ध कर सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बिहार में मतदाता सूची के ड्राफ्ट प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
आधार को दस्तावेज़ मानने की फिर से सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से फिर यह विचार करने को कहा है कि क्या आधार कार्ड को मतदाता सूची के सत्यापन के लिए दस्तावेजों की सूची में शामिल किया जा सकता है।
यह मामला अब राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से अहम मोड़ पर पहुंच गया है, और आगामी सुनवाई में इस पर सुप्रीम कोर्ट का रुख निर्णायक साबित हो सकता है।













