यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने राज्यभार एकता कल्याण समिति की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर की।
याचिका की गई खारिज
न्यायालय ने कहा कि याची एक जाति आधारित संगठन है, जो महाराजा सुहेल देव का राजभर समुदाय से संबंध का कोई साक्ष्य भी अपनी याचिका के साथ दाखिल नहीं कर सका है। हालांकि हम याची के भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन जाति के आधार पर किसी महान व्यक्ति की पहचान निर्धारित करने में कोई भी जनहित नहीं प्रतीत हो रहा है।
दुष्कर्म पीड़िता को अनिश्चित गर्भ गिराने की अनुमति
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिला को गर्भ समाप्त करने का विधिक अधिकार है। उसे गर्भ समाप्त करने से मना करना और मातृत्व की जिम्मेदारी से बांधना उसके सम्मान के साथ जीने के मानवाधिकार से वंचित करने जैसा होगा। यौन उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर करना पीड़िता के लिए अकल्पनीय दुखों का कारण हो सकता है।
इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने पीड़िता को चिकित्सकीय रूप से गर्भ समाप्त करने की अनुमति दे दी है। भदोही की 17 वर्षीय किशोरी के पिता ने संबंधित थाने में नाबालिग बेटी को बहला-फुसला को भगा ले जाने व दुष्कर्म करने के आरोप में प्राथमिकी लिखाई। पीड़िता को पुलिस ने बरामद कर पिता को सौंप दिया। पेट में दर्द होने पर पीड़िता की जांच में 15 सप्ताह का गर्भ पाया गया।
पीड़िता के पिता ने बेटी की तरफ से गर्भ को मेडिकल रूप से समाप्त करने की मांग में याचिका दाखिल की। उसके अधिवक्ता का कहना था कि कई बार दुष्कर्म किया गया। वह अब गर्भवती है। इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। याची नाबालिग होने के कारण बच्चे की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती।
खंडपीठ ने कहा, गर्भ के चिकित्सीय समापन नियम, 2021 के तहत यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म की पीड़िता अथवा नाबालिग होने पर 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने का प्रविधान है। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने समान परिस्थितियों में गर्भ को मेडिकल रूप से समाप्त करने की अनुमति दी है।
कोर्ट ने कहा, पीड़िता अपनी मां या अभिभावक के साथ 12 फरवरी 2025 को जिला अस्पताल में रिपोर्ट कर सकती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी निर्देश दिया कि कोई चिकित्सा बाधा न हो तो वह 13 फरवरी तक गर्भ समाप्ति सुनिश्चित कराएं। सभी मेडिकल सुविधाएं मुफ्त प्रदान करने और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। भ्रूण ऊतकों व खून के नमूनों को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया गया है।