हाईकोर्ट ने उम्रकैद के तीन दोषियों को दी राहत: सबूतों की कमी बताई वजह

उम्रकैद के तीन दोषी बरी: हत्या मामले में निचली अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा, हाईकोर्ट ने क्यों पलटा फैसला?

31 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Haryana Desk: हाईकोर्ट ने हत्या मामले में तीन आरोपियों को बरी किया, शव न मिलना बना निर्णायक पहलू      पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले फैसले में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। जस्टिस मंजीरी नेहरू कौल और जस्टिस एचएस ग्रेवाल की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि मृतक का शव न मिलना और पर्याप्त सबूतों का अभाव अभियोजन पक्ष के मामले की सबसे बड़ी कमजोरी रही।

मामला फरीदाबाद निवासी आरोपियों नियाज, इमरान और एक अन्य से जुड़ा था, जिन पर ड्राइवर ज्ञान चंद की हत्या का आरोप था। आरोपियों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने पीड़ित का शव आगरा नहर में फेंक दिया था, लेकिन शव कभी बरामद नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने कहा कि मामला पूरी तरह से अनुमानों पर आधारित था और हत्या की कोई प्रत्यक्ष पुष्टि नहीं हो सकी।

अदालत ने अपने फैसले में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

हत्या के पीछे कोई स्पष्ट मकसद या दुश्मनी साबित नहीं हो सकी

मृतक का पर्स और घड़ी महीनों बाद खुले स्थान से मिले, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे

कई गवाहों ने ट्रायल के दौरान अपने पहले दिए गए बयानों से मुकर गए

परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी अपर्याप्त और असंतोषजनक पाए गए

न्यायमूर्तियों ने स्पष्ट किया कि “जब शव नहीं मिला हो और परिस्थितिजन्य सबूत भी पुख्ता न हों, तो दोषसिद्धि का जोखिम बहुत अधिक हो जाता है।” यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली में ‘प्रेज़म्प्शन ऑफ इनोसेंस’ (निर्दोषता की धारणा) के सिद्धांत को रेखांकित करता है।

इस निर्णय से आरोपियों के परिवारों ने राहत की सांस ली है, जबकि पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की संभावना जताई है। विधिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला आपराधिक मुकदमों में ठोस सबूतों के महत्व को उजागर करता है।