02 अगस्त 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Chandigarh Desk: हाईकोर्ट की नई इमारत चंडीगढ़ में ही बने: अदालत ने कहा—अन्य राज्य में ले जाकर टकराव की वजह नहीं बनना चाहते पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी वैकल्पिक इमारत को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन से दो टूक जवाब मांगा है। अदालत ने साफ कर दिया कि नई हाईकोर्ट इमारत चंडीगढ़ में ही होनी चाहिए, क्योंकि इसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करना पंजाब और हरियाणा के बीच टकराव का कारण बन सकता है। कोर्ट ने सभी पक्षों को 7 अगस्त को बैठक कर विकल्पों पर विचार कर सुझाव देने का निर्देश दिया है।
IT पार्क में जगह देने से प्रशासन का इनकार
सुनवाई के दौरान जब अदालत ने आईटी पार्क में हाईकोर्ट के लिए जमीन देने का विकल्प पूछा तो प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि यह क्षेत्र तकनीकी विकास के लिए आरक्षित है और वहां हाईकोर्ट परिसर के लिए जरूरी भूमि उपलब्ध नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि आईटी पार्क में ऊंची इमारतें नहीं बनाई जा सकतीं, क्योंकि इससे सुखना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और वहां के पक्षी प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि कोर्ट ने इस तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर आईटी पार्क बन सकता है, होटल ललित बन सकता है, तो हाईकोर्ट क्यों नहीं?” कोर्ट को बताया गया कि 123 एकड़ भूमि हाउसिंग बोर्ड को दी गई है और वहां ज़मीन के उपयोग में बदलाव (चेंज ऑफ लैंड यूज) की कोई योजना नहीं है।
अदालत की जरूरतें और भावनाएं
कोर्ट ने कहा कि भविष्य में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ सकती है। अभी 85 स्वीकृत पद हैं, यदि कल को यह संख्या 100 हो जाती है, तो क्या व्यवस्था होगी? अदालत ने दोहराया कि वह केवल अपनी नहीं, सभी की जरूरतों को देखते हुए जगह मांग रही है। साथ ही कोर्ट ने कहा, “हमें नहीं लगता कि कोई भी यह ऐतिहासिक इमारत छोड़ना चाहेगा, इससे हमारी भावनाएं जुड़ी हैं।”
भविष्य की सोच के साथ शहर बसाने की जरूरत
अदालत ने शहरी विकास को लेकर प्रशासन की “पुरानी सोच” पर भी टिप्पणी की और कहा कि प्रशासन को अब भविष्य को देखते हुए योजनाएं बनानी चाहिए। गेट नंबर 1 से रॉक गार्डन तक ट्रैफिक की भारी भीड़ पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया और सुझाव दिया कि तीसरे रास्ते पर विचार किया जाए क्योंकि मौजूदा दो रास्ते अपर्याप्त हैं।
फ्लाईओवर से ट्रैफिक का समाधान
प्रशासन ने जानकारी दी कि पीजीआईएमईआर से सारंगपुर तक चार लेन वाला नया फ्लाईओवर प्रस्तावित है, जो खुड्डा लोहरा के रास्ते होकर निकलेगा। यह ट्रैफिक जाम को काफी हद तक कम करेगा। प्रस्ताव को चंडीगढ़ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की उप-समिति के पास भेजा गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह सेक्टोरियल ग्रिड के बाहर होने के कारण शहर की धरोहर पहचान पर असर नहीं डालेगा और यह निर्माण कार्य करीब डेढ़ साल में पूरा हो सकता है।
सारंगपुर में प्रस्तावित हाईकोर्ट भवन
प्रशासन ने बताया कि सारंगपुर में लगभग 42 लाख वर्ग फुट कवर एरिया हाईकोर्ट के लिए प्रस्तावित है। यहां 140 कोर्ट रूम बनाए जाने की योजना है, जो मौजूदा आवश्यकताओं से कहीं अधिक है और भविष्य की कम से कम 50 वर्षों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा।
निष्कर्ष:
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका की इमारत किसी राजनीतिक या प्रशासनिक विवाद का केंद्र नहीं बननी चाहिए। यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है कि हाईकोर्ट को भविष्य की जरूरतों के अनुसार पर्याप्त और उपयुक्त स्थान चंडीगढ़ में ही मिले।