जीएसटी सुधार और भारतीय पर्यटन का नया सवेरा   -गजेंद्र सिंह शेखावत

भारत में पर्यटन का अर्थ हमेशा ही मनोरंजन से कहीं बढ़ कर रहा है  — यह सभ्यताओं के बीच संवाद, विरासत का वाहक और समावेशी 

24 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Himachal Desk:  भारत में पर्यटन का अर्थ हमेशा ही मनोरंजन से कहीं बढ़ कर रहा है  — यह सभ्यताओं के बीच संवादविरासत का वाहक और समावेशी विकास का उत्प्रेरक है। फिर भीदशकों सेलद्दाख के मठों से लेकर कन्याकुमारी के समुद्री तटों तकहमारी अद्वितीय विविधता के बावजूदइसकी पूरी क्षमता का दोहन करों के अलगअलग ढांचे और उच्च लागत के कारण नहीं हो पाया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटीमें हाल के सुधारों ने इस कहानी को अब बदलना शुरू कर दिया है।

वर्षों सेभारत का पर्यटन और आतिथ्य उद्योग एक जटिल कर व्यवस्था के बोझ तले दबा रहा है। सेवा करवैटविलासिता कर जैसे कई तरह के करों ने भ्रम उत्‍पन्‍न किया और यात्रा की लागत बढ़ा दी। जीएसटी लागू होने से करों में सरलीकरण तो हुआ थालेकिन हाल ही में दरों का युक्तिसंगत बनाया जाना  भारतीय पर्यटन को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में निर्णायक सिद्ध हुआ है।

होटल के 7,500 रुपये से कम शुल्क वाले कमरों पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% करना विशेष रूप से परिवर्तनकारी रहा है। मध्यम वर्गीय परिवार और कम खर्च में यात्रा करने वाले लोग,  जो घरेलू पर्यटन की रीढ़ हैंउनके लिए यात्रा अब अधिक किफायती हो गई है। उच्च अधिभोग दरलंबे समय तक प्रवास और स्थानीय स्तर पर अधिक खर्च इसके प्रत्यक्ष परिणाम हैं। कम अनुपालन लागत से छोटे उद्यमियों और होमस्टे मालिकों के लिए लाभप्रदता में सुधार हुआ है और औपचारिकता को बढ़ावा मिला है। यह पर्यटन के विस्‍तार और स्थायित्व की दिशा में शांत लेकिन महत्‍वपूर्ण बदलाव है।

पर्यटन कनेक्टिविटी के बल पर फलताफूलता है। यात्री परिवहन परखासकर दस से ज़्यादा यात्रियों वाली बसों पर जीएसटी दर का 28% से घटाकर 18% किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे तीर्थयात्रियोंछात्रों और परिवारों के लिए अंतरशहरी और समूह यात्राएँ ज़्यादा सुलभ हो गई हैं। हेरिटेज सर्किटइकोटूरिज्म पार्क और ग्रामीण पर्यटन स्थलों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है।

यह सुधार सस्ते टिकटों की उपलब्धता से कहीं बढ़कर हैयह क्षेत्रों को जोड़नेयात्रा को सबके लिए सुलभ बनाने और छोटे टूर ऑपरेटरों को अपना कारोबार बढ़ाने का अवसर देने से संबंधित है। भारत के लिएजहाँ पर्यटन क्षेत्रीय समानता का एक सशक्त माध्यम हैवहीं किफायती यात्रा आर्थिक सशक्तिकरण का आधार है।

भारत का आकर्षण केवल उसके स्मारकों में ही नहींबल्कि उसकी जीवंत परंपराओं में भी निहित है। कला और हस्तशिल्प उत्पादों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से उस क्षेत्र को बढ़ावा मिला है जो लाखों कारीगरों के जीवनयापन का आधार है। स्थानीय बाज़ार में बिकने वाली हर हस्तनिर्मित कलाकृतियों पर भारत की सांस्कृतिक निरंतरता की छाप होती है।

करों में कमी किया जाना यहाँ महज़ आर्थिक पहल भर नहीं हैयह एक सांस्कृतिक निवेश है। आज पर्यटक प्रामाणिकता की तलाश में रहते हैं और जब वे हाथ से बुनी कांचीपुरम की साड़ी या चंदन की नक्काशीदार मूर्ति घर ले जाते हैंतो वे भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा अपने साथ ले जाते हैं। यह सुधार कारीगरों को सशक्त बनाता हैशिल्प समूहों को मज़बूत बनाता है और विरासत को विकास की कहानी का हिस्सा बनाता है।

संभवतजीएसटी का सबसे स्थायी लाभ स्पष्टता है। छोटे होटलहोमस्टे और ट्रैवल एजेंसियाँ अब राज्यविशिष्ट करों की भूलभुलैया के बजाय एक ही निर्धारित ढाँचे के भीतर काम करती हैं। इससे अनुपालन में सुधार होता हैनिवेशकों का विश्वास बढ़ता है और नवाचार के लिए जगह बनती है।