23 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Business Desk: 8वें वेतन आयोग के लिए कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली, कैशलेस इलाज, शिक्षा सहायता, जोखिम भत्ता और MACP दायरे के विस्तार जैसी कई अहम मांगें सरकार को सौंपी हैं। ये सिफारिशें लगभग 45 लाख कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनर्स को प्रभावित करेंगी। केंद्र सरकार इन सुझावों पर फिलहाल विचार कर रही है।
1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की तैयारी जोरों पर है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी संगठनों ने सरकार को लंबी मांग सूची सौंपते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की जोरदार मांग की है। वर्तमान में 2004 के बाद भर्ती कर्मचारियों को नई पेंशन योजना (NPS) के तहत पेंशन मिलती है, जो अंशदान आधारित है और लाभ सीमित हैं। कर्मचारी चाहते हैं कि सभी को निश्चित और सुरक्षित पेंशन मिले, साथ ही हर 5 साल में पेंशन बढ़ाई जाए और पुराने-नए पेंशनर्स को समान लाभ मिले।
इसी के साथ, कर्मचारियों ने पूरी तरह कैशलेस मेडिकल सुविधा की मांग की है ताकि इलाज के लिए जेब से खर्च न करना पड़े और रिटायर्ड कर्मचारियों को भी बराबरी का लाभ मिले। खासतौर पर डाक विभाग के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए इलाज व्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है।
शिक्षा के बढ़ते खर्च को देखते हुए, कर्मचारियों ने बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा भत्ता और हॉस्टल खर्च में सब्सिडी देने की भी मांग की है, जो पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर तक मिलनी चाहिए ताकि उच्च शिक्षा में कोई बाधा न आए।
जो कर्मचारी खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं, जैसे हथियार, केमिकल, एसिड और विस्फोटक से जुड़ा काम, उनके लिए जोखिम भत्ता और बीमा सुरक्षा का भी अनुरोध किया गया है। रेलवे कर्मचारियों के लिए भी रिस्क और हार्डशिप अलाउंस की मांग की गई है।
MACP (Modified Assured Career Progression) योजना में भी सुधार की मांग है। कर्मचारी चाहते हैं कि इसका दायरा बढ़ाकर ग्रामीण डाक सेवक, अर्धसैनिक बलों के जवान और स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारी भी इसमें शामिल हों। साथ ही पुराने वेतनमानों को खत्म कर नए व्यावहारिक स्केल लागू किए जाएं।
संगठनों ने स्टैंडर्ड कंजम्पशन यूनिट (SCU) को 3 से बढ़ाकर 3.6 करने का सुझाव दिया है, जिससे न्यूनतम वेतन और सरकारी खर्च का पैमाना बदलेगा और वेतन में वृद्धि हो सकेगी।
सरकार ने अभी तक 8वें वेतन आयोग का औपचारिक गठन नहीं किया है, लेकिन टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) तय करने की प्रक्रिया चल रही है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया कि कर्मचारियों की मांगें दर्ज कर ली गई हैं और अब कार्मिक विभाग व व्यय विभाग इनके विश्लेषण के बाद कैबिनेट को अंतिम मसौदा भेजेंगे।
गौरतलब है कि 2016 में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद सरकार पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय दबाव आया था। अब सरकार को कर्मचारियों की उम्मीदों और बजट के बीच संतुलन बनाना होगा।













