हरकिशनपुरा गांव में धान की फसल में कीट-रोग नियंत्रण को लेकर खेत दिवस आयोजित

कार्यालय, जिला जनसंपर्क अधिकारी, संगरूर                                                                          संगरूर, 28 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Punjab Desk: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के निदेशक (प्रसार शिक्षा) के दिशा-निर्देशों के तहत, फार्म सलाहकार सेवा केंद्र संगरूर द्वारा गांव हरकिशनपुरा में धान की फसल में कीटों और बीमारियों की रोकथाम को लेकर खेत दिवस का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे केंद्र प्रभारी डॉ. अशोक कुमार, जिला विस्तार वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि धान और बासमती में पाए जाने वाले कीट जैसे तने की मक्खी, पत्ती लपेट सुंडी आदि की पहचान करें और केवल तभी कीटनाशक का छिड़काव करें जब उनका हमला आर्थिक हानि स्तर (Economic Threshold Level) से अधिक हो।

पत्ती लपेट सुंडी की रोकथाम के लिए टिप्स:
डॉ. अशोक ने बताया कि इस कीट से बचाव के लिए फसल की सिंचाई से पहले या हमले की स्थिति में नारियल या मुंज की 20-30 मीटर लंबी रस्सी को फसल के ऊपर से दो बार गुजारें।

पहली बार खेत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक रस्सी खींचें।

फिर उसी रास्ते से वापिस लौटें।
इस दौरान फसल में पानी भरा होना जरूरी है ताकि कीट नीचे गिरें और बह जाएं। अगर हमला ज़्यादा है, तो अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है।

बीमारियों से बचाव के उपाय:
यूरिया का अनावश्यक प्रयोग न करें, यह कई रोगों को बढ़ावा देता है।

डॉ. अशोक ने खासतौर पर बौने पौधों (ड्वार्फ प्लांट्स) के रोग के बारे में बताया, जो एक विषाणुजनित बीमारी है और सफेद पीठ वाले कीट के माध्यम से फैलती है।

पोषक तत्वों और अन्य समस्याओं पर सलाह:
किसानों को पोटाशियम नाइट्रेट और जिप्सम की सही उपयोग विधि के बारे में जानकारी दी गई।

चूहों की रोकथाम के तरीकों पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

झंडा रोग (Ufra disease) के बारे में जानकारी:
डॉ. अशोक ने बताया कि यह एक नैमाटोड (उल्लू) द्वारा फैलने वाला रोग है। इसमें संक्रमित पौधे पीले हो जाते हैं, नीचे से ऊपर की ओर सूखते हैं और आम पौधों की तुलना में अधिक ऊंचे हो जाते हैं।

साथ ही, ये पौधे जमीन के ऊपरी हिस्से से जड़ें विकसित कर लेते हैं।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए, प्रभावित पौधों को नर्सरी और खेत से उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।

सिंचाई संबंधी सुझाव:
डॉ. अशोक ने कहा कि धान के खेत में लगातार पानी खड़ा रहना जरूरी नहीं है।

पौध रोपाई के बाद पहले 2 हफ्ते खेत में पानी बनाए रखना चाहिए।

इसके बाद, खेत में जब पानी सोख लिए दो दिन हो जाएं, तभी अगली सिंचाई करें।

लेकिन ध्यान रखें कि ज़मीन में दरारें न पड़ें।

इस अवसर पर किसानों ने कृषि संबंधित कई सवाल पूछे, जिनका डॉ. अशोक ने विस्तार से उत्तर दिया और उन्हें सतर्क एवं जागरूक रहने की सलाह दी।