30 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
National Desk: भारतीय डाक विभाग की ऐतिहासिक रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा का समापन, 1 सितंबर से होगी स्पीड पोस्ट में विलय भारतीय डाक विभाग ने अपनी दशकों पुरानी और प्रतिष्ठित रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को बंद करने का बड़ा निर्णय लिया है। 1 सितंबर 2025 से यह सेवा पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी और इसे स्पीड पोस्ट सेवा में समाहित कर दिया जाएगा। इस ऐतिहासिक सेवा की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी और यह वर्षों तक लाखों नागरिकों के जीवन से जुड़ी रही। अब डाक विभाग ने इसे समय की मांग और आधुनिक जरूरतों को देखते हुए बंद करने का निर्णय लिया है।
भावनाओं से जुड़ी थी यह सेवा
रजिस्टर्ड पोस्ट सिर्फ एक डाक सेवा नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए यादों, भावनाओं और भरोसे का माध्यम रही है। कभी यह सेवा नौकरी के प्रस्ताव, कानूनी नोटिस, सरकारी पत्राचार या बधाई संदेश लेकर लोगों के दरवाजे तक पहुंचती थी। इसके साथ लोगों की कई पीढ़ियों की खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हैं।
आज भले ही नई पीढ़ी प्राइवेट कूरियर और ट्रैकिंग ऐप्स पर निर्भर हो गई हो, लेकिन हमारे माता-पिता और बुजुर्गों के लिए यह एक भरोसेमंद साधन था। रजिस्टर्ड डाक को अदालतों में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता था और इसे विशेष रूप से सरकारी संस्थानों, बैंकों और विश्वविद्यालयों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है।
स्पीड पोस्ट से किया जाएगा विलय
डाक विभाग अब रजिस्टर्ड पोस्ट को स्पीड पोस्ट में विलय कर रहा है। विभाग का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य परिचालन को सुगम बनाना, बेहतर ट्रैकिंग सुविधा देना और ग्राहकों को अधिक सुविधा प्रदान करना है। हालांकि, यह कदम आम लोगों की जेब पर असर डाल सकता है क्योंकि जहां रजिस्टर्ड डाक अपेक्षाकृत सस्ती थी, वहीं स्पीड पोस्ट सेवा महंगी है।
दिशा-निर्देशों में संशोधन अनिवार्य
डाक विभाग ने सभी सरकारी विभागों, न्यायालयों और संस्थानों को इस बदलाव की सूचना दे दी है। 31 जुलाई तक सभी संबंधित दिशा-निर्देशों, प्रशिक्षण सामग्रियों और तकनीकी दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन करना अनिवार्य होगा। अब “पंजीकृत डाक” या “पावती सहित पंजीकृत डाक” जैसे शब्दों का उपयोग नहीं होगा, उनकी जगह “स्पीड पोस्ट” का प्रयोग किया जाएगा।
बदलते दौर की मांग
डाक विभाग का कहना है कि यह निर्णय मौजूदा युग की आवश्यकताओं को देखते हुए लिया गया है। ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव और प्राइवेट कूरियर सेवाओं की प्रतिस्पर्धा के चलते यह कदम समय के अनुरूप है।
हालांकि तकनीकी प्रगति की इस दौड़ में यह बदलाव जरूरी था, लेकिन कई लोगों के लिए यह सिर्फ एक सेवा का अंत नहीं, बल्कि एक युग का अंत है—एक ऐसा युग जिसमें एक डाकिया एक पत्र के जरिए भावनाएं, फैसले और बदलाव लेकर घर-घर पहुंचता था।













