बकाया बिल चुकाने के बाद भी बिजली नहीं जुड़ी: मकान मालिक–किरायेदार विवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

बकाया बिल चुकाने के बाद भी बिजली नहीं जुड़ी: मकान मालिक–किरायेदार विवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

17 दिसंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

National Desk:  दिल्ली हाई कोर्ट ने मकान मालिक और किरायेदार के बीच बिजली कनेक्शन को लेकर चल रहे विवाद में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिजली जैसी बुनियादी सुविधा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है और किसी व्यक्ति को सिर्फ मकान मालिक–किरायेदार विवाद के कारण इससे वंचित नहीं किया जा सकता।

यह मामला वेस्ट दिल्ली की एक रिहायशी संपत्ति की तीसरी मंजिल से जुड़ा है, जहां किरायेदार ने बकाया बिजली बिल जमा कर दिया था, इसके बावजूद बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई। याचिकाकर्ता मैकी जैन ने दिल्ली हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा कि वह वर्ष 2016 से रजिस्टर्ड लीज डीड के तहत उक्त संपत्ति में रह रही हैं।

नवंबर 2025 में आर्थिक परेशानियों के चलते सितंबर और अक्टूबर 2025 के बिजली बिल समय पर जमा नहीं हो पाए, जिसके कारण 28 नवंबर 2025 को बिजली काट दी गई और मीटर भी हटा लिया गया। हालांकि, उसी दिन पूरा बकाया भुगतान कर दिया गया था, फिर भी बिजली वितरण कंपनी BSES राजधानी पावर लिमिटेड ने मकान मालिक से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लाने की शर्त रख दी। मकान मालिक द्वारा NOC देने से इनकार कर दिया गया।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता का संपत्ति पर कानूनी कब्ज़ा है, उसे बिजली जैसी आवश्यक सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने BSES राजधानी पावर लिमिटेड को निर्देश दिया कि वह वेस्ट दिल्ली स्थित प्रॉपर्टी के तीसरे फ्लोर पर बिजली आपूर्ति तत्काल बहाल करे।

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि बिजली एक बुनियादी आवश्यकता है और इसे मकान मालिक–किरायेदार विवाद का हथियार नहीं बनाया जा सकता।