19 मई, 2025 Fact Recorder
ऑपरेशन सिंदूर के बाद डिफेंस सेक्टर में निवेश की लहर: आत्मनिर्भर भारत की झलक और शेयरों में बंपर तेजी
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई भर का संदेश नहीं दिया, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं की ताकत भी दुनिया के सामने रख दी। इसका सीधा असर शेयर बाजार में देखने को मिला, जहां डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई।
डिफेंस शेयरों में जोरदार उछाल
12 से 16 मई के बीच डिफेंस इंडेक्स में 17.21% की तेजी आई, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 0.64% और 1.73% ही बढ़े। इसका मतलब साफ है—निवेशक अब डिफेंस सेक्टर को एक मजबूत और भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
स्वदेशी तकनीक बनी भरोसे की वजह
ऑपरेशन में भारत ने स्वदेशी हथियारों और तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल किया। इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारतीय रक्षा कंपनियां अब सिर्फ घरेलू ज़रूरतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।
इन कंपनियों में दिखा जबरदस्त प्रदर्शन
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हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL): कंपनी की मार्केट वैल्यू 3 लाख करोड़ रुपये पार कर गई।
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भारत डायनामिक्स लिमिटेड, बीईएल, पारस डिफेंस, जेन टेक्नोलॉजीज़: इन कंपनियों के शेयरों में जोरदार उछाल आया।
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कोचीन शिपयार्ड: Q4 में 287 करोड़ रुपये का मुनाफा, 27% की बढ़त।
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गार्डन रीच शिपबिल्डर्स: मुनाफा दोगुना होकर 224 करोड़।
दो दिन में 1.5 लाख करोड़ रुपये का फायदा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सिर्फ दो दिनों में डिफेंस कंपनियों के कुल बाजार मूल्य में 1.5 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यह संकेत है कि भारत अब सिर्फ रक्षा आयातक नहीं, एक वैश्विक उत्पादक और निर्यातक बनने की ओर बढ़ रहा है।
ईटीएफ के जरिये सुरक्षित निवेश विकल्प
जो लोग किसी एक कंपनी में निवेश नहीं करना चाहते, उनके लिए डिफेंस ईटीएफ एक बेहतर विकल्प हैं। इसमें कई डिफेंस कंपनियों के शेयर शामिल होते हैं, जिससे जोखिम बंट जाता है और पूरे सेक्टर की ग्रोथ का लाभ मिलता है।
चुनौतियां भी कम नहीं
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कई डिफेंस कंपनियां अब भी सरकारी ऑर्डर्स पर निर्भर हैं।
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अगर ऑर्डर्स में देरी हो या बजट कटौती हो, तो कमाई पर असर पड़ सकता है।
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रक्षा उत्पादों का निर्यात जटिल प्रक्रिया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मंजूरी और नीतियों का पालन ज़रूरी है।
विशेषज्ञों की राय
लंबी अवधि के लिए भारत डायनामिक्स, HAL, बीईएल, गार्डन रीच शिप, और मझगांव डॉक जैसे शेयरों को खरीदने की सलाह दी जा रही है। ये कंपनियां आने वाले वर्षों में सेक्टर की रीढ़ बन सकती हैं।
निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा
सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति और आईडीईएक्स प्लेटफॉर्म जैसी पहलों से अब निजी कंपनियां और स्टार्टअप्स भी रक्षा उपकरणों के विकास में सक्रिय हो रहे हैं। इससे इनोवेशन को बढ़ावा मिल रहा है और घरेलू उत्पादन को नई दिशा मिल रही है।
भारत बना रहा है रक्षा उत्पादों का नया निर्यातक
फिलिपीन, मिस्र, आर्मेनिया, ब्राज़ील, और ओमान जैसे देशों ने भारतीय रक्षा उपकरणों में रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस मिसाइल का सौदा इस दिशा में एक बड़ी कामयाबी है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रक्षा क्षमताओं को न सिर्फ मज़बूत किया, बल्कि निवेशकों का भरोसा भी जीत लिया है। यह डिफेंस सेक्टर में निवेश का एक सुनहरा अवसर हो सकता है—लेकिन सोच-समझकर और दीर्घकालिक रणनीति के साथ।
