DU UG Admission 2025: डीयू में मिलेगा एडमिशन या नहीं? ऐसे तय करें, जानें सिम्युलेटेड रैंक का पूरा प्रोसेस

16 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर 

Education Desk: DU UG Admission 2025: सिम्युलेटेड रैंक से जानें, डीयू में मिलेगा एडमिशन या नहीं        दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में अंडर-ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए कुल 71,624 सीटें उपलब्ध हैं। जल्द ही यूनिवर्सिटी पहली मेरिट लिस्ट जारी करने वाली है, लेकिन उससे पहले डीयू ने छात्रों के लिए सिम्युलेटेड रैंक लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट के ज़रिए छात्र यह अनुमान लगा सकते हैं कि उन्हें किस कॉलेज में और किस कोर्स में एडमिशन मिलने की संभावना है।

क्या है सिम्युलेटेड रैंक?
सिम्युलेटेड रैंक एक अनुमानित रैंक होती है, जो CUET UG परीक्षा और आपकी भरी गई कॉलेज-कोर्स वरीयता के आधार पर तैयार की जाती है। यह छात्रों को यह अंदाज़ा लगाने में मदद करती है कि वे अपनी पसंद के कॉलेज और कोर्स में एडमिशन पा सकेंगे या नहीं।

कैसे तय करें वरीयता में बदलाव?
मान लीजिए किसी छात्र ने बीकॉम ऑनर्स को अपनी पहली पसंद रखा है और इसके लिए 50 कॉलेजों को अलग-अलग प्राथमिकता के अनुसार सेट किया है। अगर सिम्युलेटेड रैंक देखने पर लगता है कि टॉप कॉलेज में एडमिशन मिलना मुश्किल है, तो छात्र कॉलेज और कोर्स की प्राथमिकता बदल सकते हैं। यह विकल्प 16 जुलाई रात 11:59 बजे तक पोर्टल पर उपलब्ध रहेगा।

रैंक के आधार पर एडमिशन की संभावना
डीयू के टॉप कॉलेज जैसे हिंदू कॉलेज, SRCC, LSR और सेंट स्टीफंस में एडमिशन सिर्फ टॉप रैंक वालों को ही मिलता है।

अगर किसी की रैंक 2000 के आसपास है, तो उसे नॉर्थ कैंपस के कॉलेजों में मैथ्स ऑनर्स, सांख्यिकी ऑनर्स या बीएससी कंप्यूटर साइंस जैसे कोर्स मिल सकते हैं।

6000 रैंक वालों को बीएससी केमिस्ट्री ऑनर्स के लिए मिरांडा हाउस या हंसराज कॉलेज जैसे विकल्प मिल सकते हैं।

9000 रैंक पर जनरल कैटेगरी के छात्रों को बीएससी कंप्यूटर साइंस में साउथ कैंपस के कॉलेजों में एडमिशन का मौका मिल सकता है।

अगर किसी की रैंक 600 है और वह बीएससी मैथ्स ऑनर्स करना चाहता है, तो हंसराज या हिंदू कॉलेज में एडमिशन की संभावना काफी अधिक है।

वहीं, 1000 रैंक वालों को हंसराज, हिंदू, सेंट स्टीफंस, किरोड़ी मल और रामजस जैसे टॉप कॉलेजों में मैथ्स ऑनर्स में जगह मिल सकती है।

40000 रैंक पर क्या मिलेगा बीकॉम में एडमिशन?
अगर किसी छात्र की रैंक 40,000 से ऊपर है और वह बीकॉम करना चाहता है—even OBC कैटेगरी से—तो उसे टॉप कॉलेजों में तो एडमिशन नहीं मिलेगा। अन्य कॉलेजों में भी इस कोर्स के लिए उसके चांस कम हैं।

निष्कर्ष:
सिम्युलेटेड रैंक छात्रों को अपनी वास्तविक स्थिति का आकलन करने और रणनीतिक बदलाव करने का मौका देती है। सही प्राथमिकता सेट करके छात्र अपने स्कोर के अनुसार सर्वश्रेष्ठ विकल्प पा सकते हैं।