15 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Rashifal Desk: धीरेंद्र शास्त्री ने वृंदावन में प्रेमानंद महाराज से की पहली मुलाकात, मायाजाल और सनातन ज्ञान पर हुई आध्यात्मिक चर्चा
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पहली बार वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात की। उन्होंने श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में महाराज के दर्शन किए और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। साथ ही इस दौरान दोनों के बीच गहन आध्यात्मिक चर्चा भी हुई।
🔹 प्रेमानंद महाराज की सीख
प्रेमानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री को अहंकार और अभिमान छोड़कर दीनता और विनम्रता के साथ जीवन जीने की सीख दी। उन्होंने आशीर्वाद देते हुए कहा,
“आपका स्वस्थ शरीर और स्वस्थ बुद्धि रहे, और आप जगत मंगल की कामना के साथ डंके की चोट पर भगवान का गुणगान करते रहें। आपको कोई परास्त नहीं कर सकता। मस्त रहिए।”
महाराज ने आगे कहा कि उनका और धीरेंद्र शास्त्री का संबंध पहले से ही भगवान से जुड़ा है, और अब उन्हें अन्य लोगों को भी भगवान से संबंध की ओर जागरूक करना है।
🔹 मायाजाल में फंसे होने पर प्रतिक्रिया
धीरेंद्र शास्त्री ने महाराज को बताया कि वह मुंबई में थे और मायाजाल में फंसे हुए महसूस कर रहे थे। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा,
“आप भगवान के पार्षद हैं। पार्षद माया में घुसकर माया से मुक्त करते हैं, फंसते नहीं। जहां भी जाएं, वहां भगवत नाम का प्रचार प्रसार करें। भगवत नाम में इतना सामर्थ्य है कि सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, जबकि ज्ञान-विज्ञान इससे नहीं मिल सकता।”
🔹 पदयात्रा और सनातन ज्ञान
धीरेंद्र शास्त्री ने महाराज को दिल्ली से वृंदावन तक की पदयात्रा के विषय में भी जानकारी दी और सहयोग मांगा। प्रेमानंद महाराज ने हृदय से सहयोग का आश्वासन दिया, हालांकि शरीर की थकान को देखते हुए सीमित योगदान बताया।
महाराज ने सनातन के महत्व पर भी प्रकाश डाला, कहा कि
“सनातन ब्रह्म है, सनातन वायु है, सनातन सूर्य है, सनातन आकाश है और सनातन धरती है। इसके बिना किसी की सत्ता नहीं है। यह स्वयंभू है और किसी व्यक्ति द्वारा बनाया नहीं गया। वायु और सूर्य के प्रकाश में जो भी जीवित है, वह सनातन में ही है।”
इस मुलाकात में आध्यात्मिक मार्गदर्शन और भगवत नाम के महत्व पर विशेष जोर दिया गया, जो धीरेंद्र शास्त्री के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ।