वायु प्रदूषण का खतरनाक असर: रिसर्च में दावा, याददाश्त और दिमागी क्षमता हो सकती है कमजोर

एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 कण, दिमाग के लिए बेहद खतरनाक हैं और याददाश्त कमजोर कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि ये सूक्ष्म कण मस्तिष्क तक पहुंचकर तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और लेवी बॉडी डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं। यह डिमेंशिया का दूसरा सबसे आम रूप है, जो अल्जाइमर के बाद देखा जाता है। कैसे नुकसान पहुंचाता है वायु प्रदूषण? PM2.5 कण बेहद छोटे होते हैं और शरीर की सुरक्षा प्रणाली को पार कर ब्लड स्ट्रीम व मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। ये कण मस्तिष्क में मौजूद प्रोटीन को असामान्य गुच्छों (लेवी बॉडीज) में बदल देते हैं। लेवी बॉडीज तंत्रिका कोशिकाओं को मार देती हैं, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है। रिसर्च में क्या पाया गया? अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शियाओबो माओ और उनकी टीम ने चूहों पर 10 महीने तक हर दूसरे दिन PM2.5 प्रदूषण का असर जांचा। सामान्य चूहों में तंत्रिका कोशिकाएं नष्ट हो गईं और मस्तिष्क सिकुड़ गया। जबकि आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों, जिनमें अल्फा-सिन्यूक्लिन प्रोटीन नहीं बनता था, उनमें असर कम देखा गया। किसे ज्यादा खतरा? यह बीमारी खासकर शहरी इलाकों में रहने वालों पर ज्यादा असर डालती है, जहां वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देता है। वैज्ञानिकों की चेतावनी शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वच्छ हवा न केवल मस्तिष्क बल्कि पूरे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। प्रदूषण से निपटना सामाजिक, जलवायु और आर्थिक दृष्टिकोण से भी लंबे समय तक फायदेमंद होगा।

05 सितम्बर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Health Desk:  एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 कण, दिमाग के लिए बेहद खतरनाक हैं और याददाश्त कमजोर कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि ये सूक्ष्म कण मस्तिष्क तक पहुंचकर तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और लेवी बॉडी डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं। यह डिमेंशिया का दूसरा सबसे आम रूप है, जो अल्जाइमर के बाद देखा जाता है।

कैसे नुकसान पहुंचाता है वायु प्रदूषण?                                                                                      PM2.5 कण बेहद छोटे होते हैं और शरीर की सुरक्षा प्रणाली को पार कर ब्लड स्ट्रीम व मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। ये कण मस्तिष्क में मौजूद प्रोटीन को असामान्य गुच्छों (लेवी बॉडीज) में बदल देते हैं। लेवी बॉडीज तंत्रिका कोशिकाओं को मार देती हैं, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है।

रिसर्च में क्या पाया गया?                                                                                                        अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शियाओबो माओ और उनकी टीम ने चूहों पर 10 महीने तक हर दूसरे दिन PM2.5 प्रदूषण का असर जांचा।

सामान्य चूहों में तंत्रिका कोशिकाएं नष्ट हो गईं और मस्तिष्क सिकुड़ गया।                                                  जबकि आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों, जिनमें अल्फा-सिन्यूक्लिन प्रोटीन नहीं बनता था, उनमें असर कम देखा गया।

किसे ज्यादा खतरा?                                                                                                            यह बीमारी खासकर शहरी इलाकों में रहने वालों पर ज्यादा असर डालती है, जहां वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देता है।

वैज्ञानिकों की चेतावनी                                                                                                    शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वच्छ हवा न केवल मस्तिष्क बल्कि पूरे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। प्रदूषण से निपटना सामाजिक, जलवायु और आर्थिक दृष्टिकोण से भी लंबे समय तक फायदेमंद होगा।