05 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Business Desk: चीन से पाइप आयात में पांच गुना बढ़ोतरी, भारतीय उद्योग ने दी चेतावनी — डंपिंग और सुरक्षा जोखिम को बताया गंभीर खतरा
वित्त वर्ष 2025 में चीन से आने वाले सीमलेस पाइप्स और ट्यूब्स के आयात में अभूतपूर्व उछाल दर्ज किया गया है। उद्योग संगठन सीमलेस ट्यूब मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (STMAI) के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में चीन से पाइप आयात लगभग 4.97 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 2.44 लाख मीट्रिक टन की तुलना में दोगुना से भी अधिक है।
वित्त वर्ष 2022 की तुलना में यह आयात लगभग पांच गुना बढ़ा है — जब चीन से केवल 82,528 मीट्रिक टन पाइप्स आयात किए गए थे।
चीन पर डंपिंग और टैक्स चोरी के आरोप
STMAI के अध्यक्ष शिव कुमार सिंघल ने आरोप लगाया कि चीनी कंपनियां भारतीय बाजार में पाइप्स की डंपिंग कर रही हैं और सीमा शुल्क पर अधिक बिलिंग (Over-Invoicing) के ज़रिए करों व शुल्कों की चोरी कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि कुछ चीनी आयातक कस्टम क्लीयरेंस के दौरान उत्पादों की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, जबकि वही सामान भारतीय बाजार में घरेलू उत्पादों की तुलना में बेहद कम कीमत पर बेचते हैं।
इससे भारतीय निर्माताओं को न केवल भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि निष्पक्ष व्यापार (Fair Trade) की भावना भी प्रभावित हो रही है।
भारतीय बाजार पर असर और सुरक्षा चिंता
सिंघल ने कहा कि चीन बाजार में सस्ते पाइप्स की बाढ़ लाकर भारतीय अर्थव्यवस्था और स्वदेशी उद्योग को कमजोर कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ये सस्ते उत्पाद घटिया गुणवत्ता के हैं और इनका उपयोग ताप विद्युत, परमाणु ऊर्जा, तेल एवं गैस जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है।
उनका कहना है कि यह चीन की एक रणनीतिक चाल हो सकती है, जिसके ज़रिए वह भारत के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में दीर्घकालिक घुसपैठ करना चाहता है। उन्होंने कहा कि इस पर तत्काल ध्यान देने और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
घरेलू उत्पादन और रोजगार पर प्रभाव
STMAI के अनुसार, सीमलेस पाइपों का न्यूनतम आयात मूल्य 85,000 रुपये प्रति टन होना चाहिए, लेकिन चीनी पाइप्स भारतीय बाजार में करीब 70,000 रुपये प्रति टन में बिक रहे हैं।
इससे स्वदेशी क्षमता का उपयोग घट रहा है, घरेलू निर्माताओं की प्रतिस्पर्धा कमज़ोर हो रही है और रोजगार के अवसरों में कमी आ रही है।
उद्योग की मांग
भारतीय पाइप निर्माता संगठनों ने सरकार से मांग की है कि चीन से बढ़ते आयात और डंपिंग पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए तथा एंटी-डंपिंग ड्यूटी और सख्त सीमा शुल्क निगरानी लागू की जाए, ताकि घरेलू उद्योग को सुरक्षा मिल सके और भारत की आर्थिक व औद्योगिक संप्रभुता सुरक्षित रहे।













