किसानों के लिए चंडीगढ़ दूर… आखिर क्यों राजधानी में ही पक्का मोर्चा लगाना चाहते हैं किसान?

5 March 2025: Fact Recorder

इससे पहले बीते वर्ष सितंबर में भी किसानों ने चंडीगढ़ के सेक्टर-34 स्थित मेला ग्राउंड में पक्का धरना लगाया था। उस दौरान किसानों को प्रशासन से चार दिन की अनुमति मिली थी।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से जुड़े किसान पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाना चाहते हैं। किसानों ने दो दिन पहले चंडीगढ़ कूच का एलान किया था। हालांकि धरनाकारी किसानों के लिए राजधानी चंडीगढ़ अब दूर की बात हो गई है। क्योंकि पंजाब के साथ लगते चंडीगढ़ की सभी 18 एंट्री पॉइंट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। चंडीगढ़ पुलिस, पंजाब पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों को भी चंडीगढ़ की सीमा पर तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा पंजाब में कई जिलों में किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

इससे पहले बीते वर्ष सितंबर में भी किसानों ने चंडीगढ़ के सेक्टर-34 स्थित मेला ग्राउंड में पक्का धरना लगाया था। उस दौरान किसानों को प्रशासन से चार दिन की अनुमति मिली थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन की अगुवाई में किसान वे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में तीन महीने का राशन लेकर सेक्टर-34 के मेला ग्राउंड पहुंचे थे।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बीच बीते सोमवार को हुई बैठक बेनतीजा होने के बाद किसान बुधवार से चंडीगढ़ में पक्का धरना लगाकर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले कई किसान यूनियन अपनी लंबित मांगों को लेकर बुधवार को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे। हालांकि पुलिस की तरफ से किसानों को चंडीगढ़ में आने से रोकने के लिए पहले ही इंतजाम किए गए हैं।

इन मांगों को लेकर विरोध जता रहा एसकेएम
वहीं, पुलिस की तरफ से किसानों को चंडीगढ़ के एंट्री प्वाइंट्स पर रोक दिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब सरकार पर विरोध प्रदर्शन के अधिकार को दबाने का आरोप लगाया है। एसकेएम की मांगों में कृषि नीति को लागू करने के अलावा, भूमिहीन मजदूरों और किसानों को भूमि वितरण जारी करना और कर्ज माफी शामिल हैं। इससे पहले सोमवार को पंजाब सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बीच वार्ता विफल होने के कुछ घंटों बाद पुलिस ने किसान नेताओं के आवासों पर छापे मारे थे। किसानों ने पंजाब सरकार का विरोध करते हुए कई जगह धरने भी दिए थे।

किसानों के साथ बैठक छोड़कर चले गए थे सीएम मान 
एसकेएम नेता उगराहां ने कहा था कि मुख्यमंत्री भगवंत ने हमसे 5 मार्च के विरोध प्रदर्शन की हमारी योजना के बारे में पूछा, जिस पर हमने जवाब दिया कि चर्चा लंबित है और उसके बाद हम विरोध प्रदर्शन की अपनी योजना पर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नाराज हो गए और बैठक से चले गए। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि उनके दरवाजे किसानों के साथ बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं, लेकिन आंदोलन के नाम पर जनता को असुविधा और परेशान करने से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल करने के लिए हमेशा तैयार है, ताकि रेलवे या सड़क अवरोधों के माध्यम से आम आदमी को परेशानी से बचाया जा सके।

सीएम मान ने किसान नेताओं का अपमान किया- चीमा
पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की तरफ से चंडीगढ़ की ओर मार्च निकाले जाने पर शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान ने किसान नेताओं का अपमान किया है। बीते कई सालों से केंद्र सरकार भी किसानों को जलील कर रही है। आज पंजाब में कर्फ्यू जैसी स्थिति बना दी गई है, जैसे कोई बड़ा खतरा पैदा हो गया है। किसानों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश पहले से ही बंद था। अगर किसानों को अपनी ही राजधानी में वास्तविक तरीके से विरोध करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है, तो इससे अधिक तानाशाही क्या हो सकती है। किसान प्रदर्शन के लिए चंडीगढ़ में जगह की मांग कर रहे हैं। अगर इसके लिए प्रदेश सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है।