27 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
National Desk: बिहार चुनाव में रील बनी सियासत का नया मुद्दा: पीएम मोदी ने सस्ते डेटा पर जताया गर्व, कांग्रेस और PK ने साधा निशाना बिहार चुनाव में सियासी बयानबाजी इस वक्त अपने चरम पर है। एक ओर सत्तापक्ष अपनी उपलब्धियों का बखान कर रहा है, वहीं विपक्ष सरकार को उसकी नाकामियों पर घेरने में जुटा है। इस बार चुनावी बहस का नया केंद्र बन गई है — सोशल मीडिया की रील्स।
पीएम मोदी का बयान: “1 जीबी डेटा एक कप चाय से भी सस्ता” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार में अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करते हुए डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में आज 1 जीबी डेटा एक कप चाय से भी सस्ता है।
पीएम ने इसे अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, बिहार के युवा इंटरनेट की मदद से अपनी कला और क्रिएटिविटी पूरी दुनिया तक पहुँचा रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।”
उन्होंने सस्ते डेटा को ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ की रीढ़ बताया और कहा कि इससे आम लोगों को तकनीकी रूप से सशक्त बनने का मौका मिला है।
कांग्रेस का पलटवार: राहुल गांधी का पुराना बयान शेयर किया पीएम मोदी के बयान के तुरंत बाद बिहार कांग्रेस ने एक्स (Twitter) पर राहुल गांधी का एक पुराना वीडियो साझा करते हुए लिखा — “अंतर साफ है”।
वीडियो में राहुल गांधी कहते नजर आ रहे हैं, “आज के युवा रोज़ 7-8 घंटे रील देखते हैं और दोस्तों को भेजते रहते हैं। अंबानी-अडानी के बेटे वीडियो नहीं देखते, वे पैसे गिनने में व्यस्त रहते हैं।” कांग्रेस ने इस तुलना के ज़रिए यह संदेश देने की कोशिश की कि मोदी सरकार युवाओं को सिर्फ रील्स में उलझा रही है, जबकि रोजगार और उद्योग जैसे असली मुद्दे पीछे छूट गए हैं।
PK का व्यंग्य: “हमें डेटा नहीं, बेटा चाहिए” प्रधानमंत्री के बयान पर जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा,“प्रधानमंत्री ने कहा बिहार में डेटा सस्ता हुआ है। मैं कहना चाहता हूँ — हमें डेटा नहीं, बेटा चाहिए। आप कारखाने गुजरात ले जाते हैं और डेटा बिहार को देते हैं ताकि यहां के लोग अपने बच्चों को सिर्फ वीडियो कॉल पर देख सकें।”PK के इस बयान ने मुद्दे को रोजगार बनाम तकनीकी विकास की दिशा में मोड़ दिया।
रील बनाने बनाम रील देखने की बहस पीएम मोदी ने जहां रील बनाने वालों की मेहनत और क्रिएटिविटी की तारीफ की, वहीं राहुल गांधी और विपक्ष का कहना है कि अधिकांश युवा रील देखने में ही घंटों बर्बाद कर रहे हैं। डेटा के अनुसार, रील देखने वालों की संख्या रील बनाने वालों से कई गुना ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर डालता है।
रिसर्च क्या कहती है? नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से युवाओं में सेल्फ-कंट्रोल की कमी आती है और यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
रिसर्च में सुझाव दिया गया है कि युवाओं के स्क्रीन टाइम को सीमित किया जाए ताकि सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।













