14 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Sports Desk: अक्षर पटेल ने तोड़ी कप्तानी को लेकर गलत धारणाएं — कहा, कप्तान की योग्यता भाषा से नहीं, टीम को समझने से तय होती है
भारतीय ऑलराउंडर अक्षर पटेल ने क्रिकेट में मौजूद एक आम गलतफहमी पर खुलकर बात की है। अक्सर यह माना जाता है कि जो खिलाड़ी धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलता है, वही कप्तानी के योग्य होता है। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अक्षर ने साफ कहा कि यह सोच टीम लीडरशिप की असली जरूरतों से बिल्कुल अलग है।
“कप्तान का काम अंग्रेज़ी बोलना नहीं, खिलाड़ी को समझना है”
अक्षर के मुताबिक, कप्तान की जिम्मेदारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने से कहीं आगे है। उन्होंने कहा:
“लोग सोचते हैं कि जो अंग्रेज़ी नहीं बोलता, वह कप्तानी कैसे करेगा? लेकिन कप्तान का असली काम खिलाड़ी की ताकत- कमजोरी जानना और उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाना होता है। मैदान पर लिए गए फैसले कप्तान को बड़ा बनाते हैं, न कि अंग्रेज़ी की fluency।”
भाषा कप्तानी का पैमाना नहीं
अक्षर ने जोर देकर कहा कि नेतृत्व क्षमता भाषा पर निर्भर नहीं करती। संवाद किसी भी भाषा—हिंदी, गुजराती, मराठी या अंग्रेज़ी—में हो सकता है, बस खिलाड़ी को बात समझ आनी चाहिए। उनके अनुसार यह भाषा-पक्षपात सिर्फ जन-धारणा बन चुका है, कप्तानी से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
सोशल मीडिया से बढ़ रही है गलतफहमी
अक्षर ने बताया कि सोशल मीडिया ने भाषा और व्यक्तित्व के आधार पर कप्तान चुनने की यह बहस और बढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि आज खिलाड़ी की ऑनलाइन छवि देखकर लोग तय करने लगते हैं कि वह लीडरशिप के काबिल है या नहीं, जबकि नेतृत्व क्षमता मैदान पर दिखती है, न कि इंस्टाग्राम या प्रेस कॉन्फ्रेंस में।
अक्षर का कप्तानी मंत्र
दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी कर चुके अक्षर ने बताया कि वह टीम में फ्रेंडली लेकिन अनुशासित माहौल रखते हैं। उनके अनुसार—
“माहौल हल्का-फुल्का होना चाहिए, लेकिन काम हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। जब खिलाड़ी खेल का आनंद लेते हैं, तो बेहतर प्रदर्शन करते हैं।”
अक्षर का स्पष्ट संदेश
अक्षर पटेल ने इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की है कि भाषा, व्यक्तित्व या सोशल मीडिया उपस्थिति कप्तानी की कसौटी होती है। उनके मुताबिक, सच्चा कप्तान वह है जो टीम को समझे, सही फैसले ले, और खिलाड़ियों को जीत की राह दिखाए—यही क्रिकेट की असली जरूरत है।













