19 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Health Desk: भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ता दुरुपयोग अब गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। द लैंसेट में प्रकाशित ताजा स्टडी के अनुसार, देश में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) एक “अहम मोड़” पर पहुंच चुका है। AIG हॉस्पिटल्स, हैदराबाद की ग्लोबल रिसर्च में पाया गया कि भारत के अस्पतालों में भर्ती होने वाले 83% मरीज दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया लेकर आते हैं, जो बेहद डरावना आंकड़ा है।
स्टडी के मुताबिक, भारत में एंटीबायोटिक की आसान उपलब्धता, बिना डॉक्टर की पर्ची के बिक्री, डेयरी-पोल्ट्री सेक्टर में इनका अधिक उपयोग और बार-बार गलत दवा सेवन की आदत ने इस संकट को और बढ़ा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए अध्ययन में भारत के मरीज इटली (31.5%), अमेरिका (20%) और नीदरलैंड (10.8%) की तुलना में कहीं अधिक जोखिम में पाए गए। कई मामलों में बैक्टीरिया उन दवाओं पर भी असर नहीं दिखा रहे, जिन्हें अंतिम उपाय माना जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी इस स्थिति पर चिंता जताते हुए एंटीबायोटिक दुरुपयोग को “गंभीर चुनौती” बताया और कहा कि AMR देश की एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बन चुकी है। उन्होंने AMR को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास और त्वरित सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सरकार ने राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR 2025–29) का दूसरा संस्करण लॉन्च कर दिया है, जिसका उद्देश्य इस संकट से निपटने के लिए समन्वित राष्ट्रीय रणनीति विकसित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या महामारी का रूप ले सकती है।













