अनाया बांगर के पिता को भाया ये खिलाड़ी, बोले– “सब कुछ सही, बस एक बात खटक गई…”

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24 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Sports Desk:अनाया बांगर के पिता संजय बांगर को भाया साई सुदर्शन का खेल, बोले – तकनीक शानदार, पर थोड़ा एडजस्टमेंट ज़रूरी                                                                                                          पूर्व भारतीय क्रिकेटर और बैटिंग कोच संजय बांगर इन दिनों एक युवा बल्लेबाज से खासे प्रभावित नजर आ रहे हैं। ये बल्लेबाज और कोई नहीं बल्कि साई सुदर्शन हैं, जिन्होंने मैनचेस्टर टेस्ट की पहली पारी में ज़बरदस्त बल्लेबाज़ी कर सबका ध्यान खींचा। संजय बांगर, जो कि भारतीय बल्लेबाजी के गहरे जानकार माने जाते हैं, साई की तकनीक के कायल हो चुके हैं। हालांकि, उन्होंने एक छोटी सी कमी की ओर भी इशारा किया है।

मैनचेस्टर टेस्ट में साई सुदर्शन ने रचा इतिहास
भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे मैनचेस्टर टेस्ट में साई सुदर्शन ने नंबर 3 पर उतरकर 61 रन की अहम पारी खेली। ये पारी न सिर्फ मैच के लिहाज से अहम रही, बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी बन गई। 1990 के बाद मैनचेस्टर में किसी भारतीय नंबर 3 बल्लेबाज का यह सबसे बड़ा स्कोर है। इतना ही नहीं, विदेश में नंबर 3 पर फिफ्टी जड़ने वाले साई सुदर्शन, चेतेश्वर पुजारा के बाद दूसरे भारतीय बन गए हैं।

संजय बांगर हुए साई की तकनीक के मुरीद
संजय बांगर का मानना है कि साई की बल्लेबाजी में गहराई है और वह लंबे समय तक भारत के लिए खेल सकते हैं। उन्होंने खास तौर पर उनकी तकनीक की सराहना करते हुए कहा, “साई का बैकफुट मूवमेंट अलग है। जब बाकी बल्लेबाज ऑफ स्टंप की ओर मूव करते हैं, साई का बैकफुट मिडिल से मिडिल की ओर जाता है, जिससे वह बेहतर संतुलन बनाकर खेलते हैं।”

“सब कुछ अच्छा, मगर…” – क्यों बोले संजय बांगर ऐसा?
हालांकि तारीफों के साथ संजय बांगर ने साई को एक सलाह भी दी। उन्होंने कहा, “टेक्निक बढ़िया है, मगर रन बनाने वाली लाइन में अभी थोड़े और एडजस्टमेंट की जरूरत है।” उनका मानना है कि अगर साई इस छोटी सी तकनीकी बारीकी पर काम करें, तो वह पुजारा की जगह के मजबूत दावेदार बन सकते हैं।

पहले दिन टीम इंडिया का प्रदर्शन
पहले दिन का खेल खत्म होने तक टीम इंडिया ने 4 विकेट के नुकसान पर 264 रन बना लिए थे। साई सुदर्शन के अलावा यशस्वी जायसवाल ने 58 रन की अहम पारी खेली। लेकिन साई की बल्लेबाज़ी ने न सिर्फ स्कोरबोर्ड को मजबूती दी, बल्कि अनुभवी क्रिकेटरों को भी प्रभावित किया – खासकर अनाया बांगर के पापा को।