चंडीगढ़ में कूड़ा फैलाने पर ढोल बजवाने का आदेश बना बवाल; मेयर के घर के बाहर प्रदर्शन, राजनीतिक घमासान तेज

चंडीगढ़ में कूड़ा फैलाने पर ढोल बजवाने का आदेश बना बवाल; मेयर के घर के बाहर प्रदर्शन, राजनीतिक घमासान तेज

19 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Chandigarh Desk: सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में स्वच्छता को लेकर नगर निगम का एक अनोखा फैसला अब बड़े विवाद में बदल गया है। निगम ने आदेश दिया था कि जो भी व्यक्ति खुले में कूड़ा फेंकेगा, उसकी शिकायत मिलने पर टीम उसके घर ढोल बजाकर पहुंचेगी और उसे सरेआम शर्मिंदा करते हुए चालान भी काटा जाएगा।
लेकिन कुछ ही दिनों में यह निर्णय भारी विरोध का कारण बन गया। लोगों और विपक्षी नेताओं ने इस फैसले को सार्वजनिक बेइज्जती बताते हुए कड़े शब्दों में विरोध किया है।

मेयर के घर के बाहर हंगामा
बुधवार सुबह कांग्रेस की महिला नेता ममता डोगरा अपनी टीम के साथ मेयर हरप्रीत कौर बबला के घर पहुंचीं। उन्होंने वहां ढोल बजवाया और मेयर को कचरे से भरा लिफाफा भी सौंपा। इस दौरान ममता डोगरा की मेयर के पति देवेंद्र बबला से तीखी बहस हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
ममता ने मेयर के इस्तीफे की मांग की, जबकि देवेंद्र बबला ने कहा कि यह निर्णय कमिश्नर का था। इस पर सवाल उठे कि मेयर की सहमति के बिना ऐसा आदेश कैसे लागू हो सकता है।

राजनीतिक पारा चढ़ा
सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने इस फैसले को “सार्वजनिक अपमान” बताते हुए कहा कि इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने शिकायत प्रशासक तक पहुंचाई है।
बढ़ते विरोध को देखते हुए मेयर ने मंगलवार को कहा कि ढोल बजाकर शर्मिंदा करना उद्देश्य नहीं था, सिर्फ जागरूकता बढ़ाना मक़सद था। यदि जनता इसे पसंद नहीं करती तो फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा।
लोगों का पलटवार – “अधिकारियों के घर ढोल क्यों नहीं बजे?”
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा भी फूटा। कई नागरिकों ने पूछा कि जब शहर की टूटी सड़कें, कूड़े के ढेर और सफाई की लापरवाही अधिकारियों की जिम्मेदारी है, तो ऐसे अफसरों के घर ढोल क्यों नहीं बजते?
लोगों ने साफ कहा कि जब निगम खुद समय पर कचरा नहीं उठाता, तो जिम्मेदारी किसकी है?

250 रुपये का इनाम और ढोल की शुरुआत
बीते शनिवार को कमिश्नर अमित कुमार ने आदेश जारी किया था कि अगर कोई कूड़ा फेंकते हुए पकड़ा जाए, तो उसका कचरा उसी को वापस दिया जाएगा और ढोल बजाकर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसे लोगों की शिकायत भेजने वालों को 250 रुपये इनाम भी तय किया गया।

फैसले के बाद कई जगह ढोल बजाकर कार्रवाई शुरू हुई, मगर बढ़ते विरोध के कारण अब यह योजना बैकफुट पर दिख रही है।