25 अगस्त 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
National Desk: 21 जुलाई की रात देश के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष और जनता इसे आसानी से स्वीकार नहीं कर पाए। इस्तीफे के बाद से ही धनखड़ सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह गायब हो गए, जिससे अटकलें और तेज हो गईं। विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा था कि आखिर इतनी जल्दी और बिना किसी विदाई समारोह के क्यों उन्होंने पद छोड़ा और सरकार ने इस पर चुप्पी क्यों साध ली।
इस बीच पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने धनखड़ के इस्तीफे पर खुलकर प्रतिक्रिया दी। न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा, “धनखड़ जी संवैधानिक पद पर आसीन थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में संविधान के अनुरूप शानदार काम किया। उन्होंने व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है।” शाह के इस बयान से उम्मीद की जा रही है कि अब इस्तीफे को लेकर चल रही राजनीतिक बहस थम सकेगी।
धनखड़ का जन्म 1951 में राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना गांव में हुआ था। जाट परिवार से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ ने जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय से फिजिक्स में स्नातक और फिर एलएलबी की पढ़ाई की। वकालत से अपने करियर की शुरुआत कर उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की और धीरे-धीरे राजनीति में कदम रखा।
उनका राजनीतिक सफर 1989 में झुंझनु से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद 1990 में वे संसदीय कार्य मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री बने। 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे। सक्रिय राजनीति से कुछ समय दूर रहने के बाद 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां वे 2022 तक रहे। इसके बाद एनडीए उम्मीदवार के रूप में उपराष्ट्रपति चुने गए और 11 अगस्त 2022 को देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने।
हालांकि उनका कार्यकाल 2027 तक था, लेकिन 21 जुलाई 2025 को अचानक उन्होंने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। अब जबकि अमित शाह ने साफ किया है कि इस्तीफे के पीछे केवल स्वास्थ्य कारण हैं, राजनीतिक हलकों में उठ रही तमाम अटकलों को विराम मिलने की संभावना है।