जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद दफ्तर सील होने की खबरें! जानिए क्या है सच?

24 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

National Desk: हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़ आ गई है। कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि उनके सरकारी आवास को सील कर दिया गया है और उन्हें तुरंत घर खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन इन तमाम दावों को सरकार ने फर्जी बताया है।

पीआईबी ने किया साफ: “कोई सीलिंग नहीं हुई”
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इन खबरों को पूरी तरह गलत और भ्रामक करार दिया है। एक तथ्य-जांच पोस्ट में पीआईबी ने कहा:

“सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से यह दावा किया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास को सील कर दिया गया है और उन्हें तुरंत बाहर निकालने को कहा गया है। यह पूरी तरह झूठा है। कृपया फर्जी सूचनाओं पर विश्वास न करें।”

सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संवेदनशील या बड़ी खबर को आगे बढ़ाने से पहले आधिकारिक स्रोतों से उसकी पुष्टि जरूर करें।

चुनाव आयोग की तैयारी शुरू
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अब भारत के चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग ने संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के आधार पर निर्वाचक मंडल तैयार करना शुरू कर दिया है। साथ ही रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक अधिकारियों की नियुक्ति और पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों से जुड़े दस्तावेजों की समीक्षा भी शुरू कर दी गई है।

विपक्ष का हमला: “दाल में कुछ काला है”
धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा:

“धनखड़ जी की तबीयत ठीक थी, वे भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से जुड़े भी माने जाते रहे हैं। फिर अचानक इस्तीफा क्यों? कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है।”

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि धनखड़ का इस्तीफा राजनीतिक कारणों से हुआ है, और यह संवैधानिक पद की गरिमा के साथ खिलवाड़ है।

टीएमसी का बड़ा आरोप: “महाभियोग की धमकी मिली थी”
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कल्याण बनर्जी ने और भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि

“प्रधानमंत्री और शीर्ष कैबिनेट मंत्रियों ने जगदीप धनखड़ को पद छोड़ने का दबाव डाला। उन्हें महाभियोग की धमकी दी गई, जिससे वे इस्तीफा देने को मजबूर हुए।”

निष्कर्ष
जहां एक ओर सोशल मीडिया पर झूठी खबरों से भ्रम फैलाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम को केंद्र सरकार की रणनीति बता रहा है। हालांकि, सच्चाई यही है कि उपराष्ट्रपति के सरकारी आवास को न सील किया गया है और न ही जबरन खाली कराया गया है। अब नजरें टिकी हैं चुनाव आयोग पर, जो नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति की दिशा में आगे बढ़ रहा है।