15 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Chandigarh Desk: चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी पेश करेंगे प्राइवेट मेंबर बिल, मेयर का कार्यकाल पांच साल करने और सीधे चुनाव की मांग
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी ने नगर निगम की मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए बड़ा ऐलान किया है। तिवारी 25 जुलाई को संसद में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश करेंगे, जिसमें मेयर का कार्यकाल पांच साल करने और सीधे जनता द्वारा चुनाव कराने का प्रस्ताव शामिल है।
“कमजोर मेयर सिस्टम से नहीं चल सकता शहर”
मनीष तिवारी का कहना है कि जब तक मेयर को लंबा कार्यकाल और पर्याप्त अधिकार नहीं मिलते, तब तक नगर निगम प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा, “एक साल का कार्यकाल बहुत छोटा होता है। नवनिर्वाचित मेयर आधे समय तो व्यवस्था समझने में ही लगा देता है। इतने कम समय में ठोस निर्णय लेना और उन्हें लागू कराना संभव नहीं होता।”
उन्होंने यह भी कहा कि “मेयर इन काउंसिल” — जिसमें मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर शामिल हों — का गठन अनिवार्य होना चाहिए, ताकि जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा हो और नगर निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सके।
संसद में पेश होगा निजी विधेयक
सांसद ने बताया कि वह इस बिल को पूरी तैयारी के साथ संसद में पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछली बार भी इसकी योजना थी, लेकिन संसद सत्र स्थगित हो गया था। इस बार वे बिल पेश करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर अनुरोध करेंगे कि सरकार इस निजी विधेयक को अपनाए और इसे औपचारिक सरकारी बिल के रूप में संसद में लाया जाए।
प्रत्येक संसद सत्र में शुक्रवार दोपहर का समय प्राइवेट मेंबर बिलों के लिए निर्धारित होता है।
“राजनीतिक असुरक्षा में घटाई गई मेयर की ताकत”
नगर निगम के मौजूदा ढांचे पर तिवारी ने कहा कि जब चंडीगढ़ नगर निगम की स्थापना हुई थी, उस समय कुछ नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को यह डर था कि कोई और बड़ा नेता न उभर जाए। इसी वजह से मेयर और अन्य पदाधिकारियों की भूमिका को सीमित रखा गया। उन्होंने इसे “राजनीतिक असुरक्षा और प्रशासनिक वर्चस्व का नतीजा” बताया।
“सशक्त मेयर, जवाबदेह ब्यूरोक्रेसी”
तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ के राजनीतिक ढांचे को मजबूत करना जरूरी है, ताकि नगर निगम जनता के हित में बेहतर तरीके से कार्य कर सके और ब्यूरोक्रेसी की जवाबदेही सुनिश्चित हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक सशक्त मेयर सिस्टम से ही शहर का समुचित विकास संभव है।
यह प्राइवेट मेंबर बिल अगर पारित होता है, तो यह चंडीगढ़ नगर निगम की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।