2150 करोड़ खर्च, इतने करोड़ का टैक्स दिया, राम मंदिर ने देश का खजाना भरा!

17 March 2025: Fact Recorder

अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट ने पिछले 5 वर्षों में सरकार को 400 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया। जानें राम मंदिर निर्माण की कुल लागत, धार्मिक पर्यटन में वृद्धि और रोजगार के नए अवसरों के बारे में।

Ayodhya Ram Mandir News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार, 16 मार्च को पिछले 5 सालों का लेखा-जोखा दिया। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर में धार्मिक पर्यटन में वृद्धि के बीच पिछले पांच सालों में सरकार को लगभग 400 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया है। उन्होंने बताया कि यह राशि 5 फरवरी, 2020 से 5 फरवरी, 2025 के बीच भुगतान की गई। इसमें से 270 करोड़ रुपये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में चुकाए गए, जबकि शेष 130 करोड़ रुपये विभिन्न अन्य कर श्रेणियों के तहत चुकाए गए।

धार्मिक श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम लला की जन्म भूमि अयोध्या में लगातार श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में 10 गुना की वृद्धि हुई है। ऐसे में ये जगह अब धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन गई है। रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु राम मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं और चढ़ावा चढ़ाते हैं।

रोजगार के अवसर हो रहे पैदा

धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों का हजारों की संख्या में आना अयोध्या के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है। ये एक अच्छी बात है क्योंकि अब उन बेरोजगार लोगों को भी आजीविका चलाने का मौका मिल रहा है जो काम की तलाश में भटक रहे थे। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि महाकुंभ 2020 के दौरान तो करीब 1.26 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या में आए और राम लला के दर्शन किए। चंपत राय ने जानकारी दी कि ट्रस्ट के वित्तीय रिकॉर्ड का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के अधिकारियों द्वारा ऑडिट किया जाता है।

राम मंदिर बनाने में लगे कितने करोड़

महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर बनने में अब तक 2150 करोड़ रुपये का खर्च आया। ये सारा लेखा-जोखा 5 फरवरी 2020 से 28 फरवरी 2025 तक का था। ट्रस्ट की ओर से विभिन्न राज्यों के कर के रूप में सरकार को 396 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में अदा किए गए जो कुल खर्च का 18 प्रतिशत है। चंपत राय ने बताया कि 272 करोड़ रुपये जीएसटी, 39 करोड़ रुपये टीडीएस, 14 करोड़ रुपये लेबर सेस और 7.04 करोड़ रुपये पीएफ और ईएसआई के रूप में खर्च किए गए। इसके अलावा भी कई अन्य खर्च हैं जैसे बिजली बिल, बीमा पॉलिसी, स्टांप शुल्क, और श्री राम जन्म भूमि के नक्शे के लिए विकास प्राधिकरण को दिया शुल्क आदि। जबकि नगर निगम को पानी के कर के रूप में कुछ भी भुगतान नहीं किया गया है।