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5 महीने में सेंसेक्स 10,000 पॉइंट डाउन, बाजार में क्यों मचा कोहराम, आगे कैसी रहेगी चाल?

22 Feb 2025: Fact Recorder

Indian Stock market Under Pressure: शेयर बाजार लगातार कमजोर हो रहा है। हर गुजरता दिन मार्केट को और गहरे जख्म दे रहा है। ऐसे में निवेशकों की चिंता और बढ़ गई है। हालात यह हैं कि एक्सपर्ट्स को भी समझ नहीं आ रहा है कि मार्केट यहां से कहां जा सकता है।

शेयर बाजार इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है। मार्केट लगातार दबाव में है और निवेशकों के पोर्टफोलियो की वैल्यू कम होती जा रही है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी पिछले साल के आखिरी महीनों से गिरावट का सामना कर रहे हैं और समय के साथ हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे हैं। बीते 5 महीनों में सेंसेक्स 10,000 से अधिक अंकों की बढ़त गंवा चुका है। जबकि निफ्टी को करीब 4000 अंकों का नुकसान हुआ है।

सोमवार के क्या संकेत?

इस हफ्ते के आखिरी कारोबार दिन यानी शुक्रवार को मार्केट लाल निशान पर बंद हुआ। इस दौरान, निफ्टी 22800 के अहम स्तर से नीचे चला गया, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, यह आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि अगर निफ्टी इस लेवल से नीचे आ जाता है, तो गिरावट और चौड़ी हो सकती है। ऐसे में सोमवार को भी मार्केट के खास अच्छा करने की उम्मीद बेहद कम है। इसके अलावा, शुक्रवार को अमेरिकी मार्केट में भी गिरावट दर्ज हुई है। यह खबर भी भारतीय बाजार को सोमवार को दबाव में बने रहने के लिए मजबूर कर सकती है।

इनसे बिगड़ा मार्केट का मूड

BSE सेंसेक्स सितंबर 2024 में 86,000 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। वहीं, निफ्टी ने 26,300 का आंकड़ा छू लिया था। जबकि अब सेंसेक्स 75,311.06 और निफ्टी 22,795.90 के लेवल पर आ गए हैं। मार्केट के इस हाल के लिए तमाम फैक्टर जिम्मेदार हैं। खासकर डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने इंडियन मार्केट को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसके अलावा, कई कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद अनुरूप नहीं रहे हैं। इससे भी मार्केट दबाव में आया है। साथ ही, महंगाई की बढ़ती चिंता, लंदन कैश गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट के डिफॉल्ट होने की आशंका, यूएस फेड रिजर्व का ब्याज दरों में कटौती न करने का संकेत और विदेशी निवेशकों के चीन प्रेम भी मार्केट में सुनामी के प्रमुख कारण हैं।

खबरों के भंवर में फंसा

लगातार एक के बाद एक ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जिनसे मार्केट को गिरावट से बाहर निकलने का मौका नहीं मिल रहा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कमजोरी की खबर हर गुजरते दिन के साथ सामने आ जाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगभग हर दिन टैरिफ को लेकर कोई न कोई बयान दे देते हैं। विदेशी निवेशक तो लगातार बिकवाल बने हुए हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी मार्केट से 23,710 करोड़ रुपये निकाले हैं। दरअसल, FIIs भारत से पैसा निकालकर चीन में निवेश कर रहे हैं, इसलिए ट्रंप टैरिफ का जितना नुकसान चीनी मार्केट को होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। उल्टा भारत का बाजार कमजोर हो रहा है।

कब तक सुधरेंगे हाल?

बाजार ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि इसका सटीक आकलन बेहद मुश्किल हो गया है। PM मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद मार्केट में तेजी की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, एक्सपर्ट्स को भरोसा है कि अगले कुछ दिनों में बाजार ट्रैक पर वापस लौट सकता है। लेकिन इसके पहले वाली रफ्तार से भागने की फिलहाल संभावना नहीं है। उनका यह भी कहना है कि घबराहट या जल्दबाजी में शेयर बेचने से भी बचना चाहिए।