एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा: ‘अचानक मौ/तों’ का कोरोना वैक्सीन से कोई संबंध नहीं, दिल की बीमारियां बनीं मुख्य वजह

एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा: ‘अचानक मौ/तों’ का कोरोना वैक्सीन से कोई संबंध नहीं, दिल की बीमारियां बनीं मुख्य वजह

16 दिसंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Health Desk: बीते कुछ वर्षों में युवाओं में अचानक होने वाली मौतों को लेकर कई तरह की आशंकाएं सामने आई थीं। इनमें से एक बड़ा दावा इन मौतों को कोरोना वैक्सीन से जोड़कर देखा जा रहा था। अब इस पर एम्स दिल्ली की एक विस्तृत स्टडी ने स्थिति साफ कर दी है। अध्ययन के मुताबिक, युवाओं में हो रही ‘अचानक मौतों’ का कोविड-19 वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है।

एक साल तक चली इस गहन रिसर्च में 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं के मामलों का विश्लेषण किया गया। एम्स की यह रिपोर्ट ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित हुई है। साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) जैसी प्रमुख एजेंसियों की जांचों ने भी पुष्टि की है कि भारत में इस्तेमाल की गई कोविड वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी हैं।

स्टडी में यह अहम बात सामने आई कि वैक्सीन लगवाने वाले और वैक्सीन न लगवाने वाले युवाओं में अचानक मौत का पैटर्न लगभग समान था। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन मौतों के पीछे टीकाकरण नहीं, बल्कि अन्य गंभीर स्वास्थ्य कारण जिम्मेदार हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, युवाओं में अचानक मौत का सबसे बड़ा कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) पाया गया है। इस बीमारी में दिल की धमनियों में प्लाक जम जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सांस संबंधी गंभीर समस्याएं, अनुवांशिक बीमारियां, पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं और गलत जीवनशैली भी इन मौतों के लिए जिम्मेदार पाई गई हैं।

यह स्टडी मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच की गई, जिसमें कुल 180 अचानक मौतों के मामलों की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पोस्टमार्टम, वर्बल ऑटोप्सी और विस्तृत मेडिकल जांच जैसी वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग किया। इस दौरान दुर्घटना और आत्महत्या के मामलों को अध्ययन में शामिल नहीं किया गया।

रिपोर्ट में एक गंभीर चेतावनी भी दी गई है। जांच किए गए मामलों में से 57.2 प्रतिशत मौतें 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं में हुईं, जो बुजुर्गों की तुलना में अधिक हैं। यह स्थिति देश में युवाओं के बीच बढ़ते हृदय रोग के खतरे की ओर इशारा करती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं को अपनी जीवनशैली पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। तनाव से बचाव, धूम्रपान और शराब से दूरी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का समय पर इलाज हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।

एम्स की यह स्टडी टीकाकरण को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर करने में भी अहम मानी जा रही है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाई है और लोगों को अवैज्ञानिक दावों से बचते हुए अपने हृदय स्वास्थ्य और टीकाकरण पर भरोसा बनाए रखना चाहिए।