18 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Health Desk: हाल ही में एक इंटरव्यू में अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने बताया कि हार्ट अटैक के बाद जब उनकी एंजियोप्लास्टी हुई और स्टेंट डाला गया, तो वह पूरे समय पूरी तरह होश में थीं। उन्होंने बिना बेहोशी के इस प्रोसीजर को होते हुए देखा। इसके बाद लोगों में यह सवाल उठने लगा कि क्या वाकई स्टेंट डालते समय मरीज को बेहोश नहीं किया जाता?
इस पर कार्डियोलॉजी विशेषज्ञों ने विस्तार से जानकारी दी है।
एंजियोप्लास्टी में सामान्यत: बेहोशी नहीं दी जाती
दिल्ली के राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अजित जैन के अनुसार,
स्टेंट डालने से पहले मरीज के सभी रूटीन टेस्ट किए जाते हैं। अगर सब सामान्य हो, तो प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें:
जांघ के पास एक छोटा छेद किया जाता है
वहां से एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को नसों के जरिए हार्ट तक भेजा जाता है
स्क्रीन पर देखकर ब्लॉकेज वाली जगह पर बैलून के साथ स्टेंट लगाया जाता है
बैलून हटाते ही स्टेंट नस में फिक्स हो जाता है
डॉ. जैन बताते हैं कि इस दौरान मरीज को बेहोश नहीं किया जाता, केवल हल्का लोकल एनेस्थीसिया देकर उस हिस्से को सुन्न किया जाता है जहां ट्यूब डाली जाती है। मरीज को सिर्फ हल्का दर्द महसूस हो सकता है, जो जल्द ही कम हो जाता है।
अधिकतर एंजियोप्लास्टी बिना बेहोशी के होती है—डॉ. वरुण बंसल
अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वरुण बंसल के अनुसार:
ज्यादातर मामलों में मरीज पूरी तरह होश में रहता है।
केवल एक इंजेक्शन देकर लोअर एरिया सुन्न किया जाता है।
कई मरीज खुद बिना बेहोशी के यह प्रोसीजर कराने की इच्छा जताते हैं।
डॉ. बंसल का कहना है कि जनरल एनेस्थीसिया केवल बाईपास सर्जरी में दिया जाता है।
स्टेंट डालने में इसकी जरूरत बहुत कम होती है—केवल तब जब मरीज अत्यधिक चिंतित हो या उम्रदराज हो और प्रक्रिया सहन न कर पाए।
निष्कर्ष
सुष्मिता सेन का दावा कोई अपवाद नहीं है।
दरअसल एंजियोप्लास्टी में अधिकांश मरीज होश में ही रहते हैं, और प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से बिना बेहोशी के पूरी हो जाती है।
यह आधुनिक कार्डियक तकनीक का ही परिणाम है कि स्टेंट लगाना अब तेज, सुरक्षित और कम दर्द वाला प्रोसीजर बन चुका है।













