टाटा ट्रस्ट में बड़ा बदलाव: रतन टाटा के करीबी अधिकारी को पद से हटाने की तैयारी

28 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Business Desk: टाटा ट्रस्ट में ‘अक्टूबर झटका’: रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री की विदाई, बोर्ड ने नहीं बढ़ाया कार्यकाल                                                                                                                        देश के सबसे प्रतिष्ठित कारोबारी समूहों में से एक टाटा ग्रुप में एक बार फिर ‘अक्टूबर’ का महीना बदलाव लेकर आया है। साल 2016 में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के बाद अब एक और ‘मिस्त्री’ मेहली मिस्त्री को टाटा ट्रस्ट्स से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। टाटा ट्रस्ट्स, जो टाटा संस की प्रमुख होल्डिंग कंपनियां सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) को नियंत्रित करते हैं, में यह फैसला एक बड़े आंतरिक फेरबदल का संकेत देता है। बताया जा रहा है कि मेहली मिस्त्री का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया गया है।

🔹 मेहली मिस्त्री का कार्यकाल क्यों नहीं बढ़ाया गया?                                                                    पिछले हफ्ते टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने मेहली मिस्त्री के तीन साल के कार्यकाल को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को ट्रस्टी डेरियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर जहांगीर ने समर्थन दिया। लेकिन, चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने इसका विरोध किया। नतीजतन, मिस्त्री का कार्यकाल समाप्त हो गया।

🔹 इतिहास दोहराया ‘अक्टूबर’ में  यह एक दिलचस्प संयोग है कि मेहली मिस्त्री को उसी अक्टूबर महीने में हटाया गया है, जिसमें 2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। साइरस और मेहली दोनों शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप से ताल्लुक रखते हैं वही ग्रुप जिसके पास टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।

🔹 कौन हैं मेहली मिस्त्री? मेहली मिस्त्री, एम. पल्लोनजी ग्रुप के प्रमोटर हैं, जिनका कारोबार इंडस्ट्रियल पेंटिंग, शिपिंग, ड्रेजिंग और कार डीलरशिप जैसे क्षेत्रों में फैला है। वह ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट के भी ट्रस्टी हैं और दिवंगत रतन टाटा के बेहद करीबी माने जाते थे।

🔹 समूह में फिर से अस्थिरता रतन टाटा के निधन के बाद यह माना जा रहा था कि समूह में स्थिरता आएगी, लेकिन हालिया घटनाक्रम बताता है कि ट्रस्ट के भीतर मतभेद अब भी बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, टाटा समूह के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात भी की है।