मिज़ोरम का रेलमार्ग: सफर नहीं, नई पहचान का प्रतीक

मिज़ोरम का रेलमार्ग: सफर नहीं, नई पहचान का प्रतीक

11 सितम्बर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

National Desk:  मिज़ोरम को रेल संपर्क का तोहफ़ा: सिर्फ़ यात्रा नहीं, विकास और पहचान का नया अध्याय  पूर्वोत्तर भारत में रेल संपर्क का नया सूर्योदय हो रहा है। 51 किलोमीटर लंबी बायराबी-सैरांग रेललाइन अब मिज़ोरम की राजधानी आइजॉल को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने जा रही है। 45 सुरंगों और 55 बड़े पुलों से होकर गुजरने वाली यह लाइन देश के दूसरे सबसे ऊँचे पियर ब्रिज (114 मीटर) का गौरव भी रखती है।

कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और लंबे मानसून जैसी चुनौतियों के बावजूद पूरी हुई इस परियोजना से कोलासिब और आइजॉल जिलों के बीच यात्रा समय आधे से भी कम रह जाएगा। इससे न केवल वस्तुएँ सस्ती होंगी, बल्कि रोज़गार और व्यापारिक अवसर भी बढ़ेंगे।

यह रेललाइन मिज़ोरम की हरी-भरी पहाड़ियों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देश-दुनिया तक पहुँचाने का मार्ग बनेगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिज़ोरम सरकार और IRCTC ने अगस्त 2025 में दो वर्षों का समझौता किया है, जिसके तहत विशेष पैकेज और पर्यटक ट्रेनें चलाई जाएँगी।

रणनीतिक दृष्टि से भी यह रेल संपर्क अहम है, क्योंकि मिज़ोरम की सीमाएँ म्यांमार और बांग्लादेश से मिलती हैं। ऐसे में यह प्रोजेक्ट भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और सीमा-पार व्यापार को नई दिशा देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक रेललाइन का उद्घाटन किया। मिज़ो जनता के लिए यह सिर्फ़ एक परियोजना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान और एक लंबे समय से संजोए सपने की पूर्ति है।