पंजाबियों, उन लोगों को मुंह मत लगाओ जिन्होंने बुरे वक्त में तुम्हारा साथ नहीं दिया!

पंजाब में आई भीषण बाढ़ और तेज़ बारिश ने हालात बेहद गंभीर कर दिए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों के अलावा अन्य जगहों पर भी इसका असर साफ दिख रहा है।
संपादकीय लेख / बाढ़ 06 सितम्बर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

पंजाबियों का दरियाओं से रिश्ता गहरा है, फिर भी हौसले बुलंद हैं

 भवनदीप सिंह पुरबा
(मुख्य संपादक: ‘महक वतन दी लाइव’ ब्यूरो)

Punjab Desk:  पंजाब में आई भीषण बाढ़ और तेज़ बारिश ने हालात बेहद गंभीर कर दिए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों के अलावा अन्य जगहों पर भी इसका असर साफ दिख रहा है। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब घरों की दीवारों पर हरी-हरी काई जम चुकी है। इसके चलते जर्जर इमारतें लोगों के लिए खतरा बन गई हैं।

हाल ही में मोगा शहर में इसके उदाहरण देखने को मिले। पुरानी दाना मंडी मोगा के गेट नं. 2 की छत गिर गई, बाग गली का मेन बाज़ार की ओर वाला गेट आधा ढह गया। नज़दीकी गांव घल्ल कलां में 100 साल पुरानी इमारत लगातार बारिश के कारण ढह गई। यह इमारत किसान नेता गुलज़ार सिंह घल्लकलां की थी और उनका पूरा घर तबाह हो गया। शहर के घर भी इस बारिश से प्रभावित हैं।

एक ओर बाढ़, दूसरी ओर लगातार बारिश — दोनों मिलकर पंजाब में तबाही मचा रहे हैं। पूरे पंजाब में इसका असर है, लेकिन दरियाओं और बांधों के पास बसे गांव सबसे अधिक खतरे में हैं।

स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सुरक्षा कारणों से सभी सरकारी/एडिड/मान्यता प्राप्त/प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटियों और पॉलीटेक्निकल कॉलेजों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। हालांकि ऑनलाइन कक्षाएं जारी हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है।

बाढ़ का असली दुख वही जान सकते हैं जो इसकी मार झेल रहे हैं। अपना घर छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। रात के अंधेरे में दरिया किनारे मच्छरों और पानी के जीव-जंतुओं के बीच बिना छत के रहना आसान नहीं। मजबूरी में जीना पड़ता है। प्रार्थना है कि परमात्मा ऐसी आपदा से हमेशा बचाए।

लेकिन राहत की बात यह रही कि “Flood 2025” में पंजाबियों ने पंजाबियों का हाथ थामा। लंगर, पानी, पशुओं का चारा — किसी भी चीज़ की कमी नहीं आने दी। वैसे भी पूरी दुनिया जानती है कि जहां भी आपदा आती है, पंजाबी सबसे पहले लंगर लेकर पहुंचते हैं। और जब अपनी ही ज़मीन की बात हो तो सेवा दुगनी हो जाती है।

हाँ, इस दौरान कुछ ठग भी सक्रिय हो जाते हैं जो बाढ़ पीड़ितों के लिए आया राशन और चारा जमा कर बेच देते हैं। लेकिन सच्चे सेवक पहचान में आ जाते हैं। “सरबत दा भला ट्रस्ट”, “खालसा ऐड”, “वारिश पंजाब दे”, “महक वतन दी फाउंडेशन”, “ग्लोबल सिख” जैसी संस्थाओं के वालंटियर नावों से गांव-गांव जाकर राहत सामग्री पहुँचा रहे हैं। इनके पास ठग कभी नहीं फटकते।

यह मानना पड़ेगा कि जो चीज़ सबसे प्यारी होती है, उस पर नज़र भी जल्दी लगती है। पंजाब पर भी यही हो रहा है। हर रोज़ कोई न कोई संकट आता है, लेकिन पंजाब लड़ता है और हर बार और मज़बूत होकर उभरता है।

किसान यूनियन और अन्य संगठनों का आरोप है कि यह सिर्फ़ प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि सोची-समझी साज़िश है, ताकि पंजाब को डुबोकर किसान को तोड़ा जा सके। पहले काले कानून, फिर भूमि नीतियाँ — लेकिन पंजाबियों ने हार नहीं मानी।

इसी संकट में कई अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता मिसाल बनकर उभरे। अमृतसर की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने न सिर्फ़ प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाई बल्कि पंजाबियों का दिल जीत लिया। इसी तरह “सरबत दा भला ट्रस्ट” के डॉ. एस.पी. सिंह ओबरॉय ने तुरंत राहत कार्य शुरू किए, डेढ़ करोड़ का पैकेज घोषित किया और वादा किया कि जब तक ज़रूरत है, राशन, दवाइयाँ, नावें, मच्छरदानियाँ, पशुओं का चारा आदि सब उपलब्ध कराया जाएगा।

इस संकट में पंजाबियों के हौसले वाकई देखने लायक हैं। पानी की बोतल पकड़ाई जाए तो वे कहते हैं — “चाय मिलेगी?” चेहरों पर डर नहीं बल्कि हालात से लड़ने का जज़्बा साफ झलकता है।

हालाँकि, कुछ नेता और कलाकार सिर्फ़ फोटो और वीडियो के लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों में आए और चले गए। जबकि सच्चे सेवक दिन-रात राहत कार्य में जुटे रहे।

कई कलाकारों और समाजसेवियों ने करोड़ों की मदद दी — दिलजीत दोसांझ ने 10 गांव गोद लिए, सतिंदर सरताज ने 500 परिवारों के लिए महीनों का राशन भेजा, गुरदास मान ने 25 लाख रुपये दिए, एमी विर्क ने 200 घर गोद लिए, बब्बू मान ने विदेश शो की कमाई दान कर दी। अभिनेता अक्षय कुमार, सोनू सूद, संजय दत्त, रंजीत बावा समेत कई कलाकारों ने भी योगदान दिया। उनकी सोच को सलाम है।

राजस्थान के भाई भी पंजाब की मदद को आए। लेकिन जो लोग इस मुश्किल घड़ी में साथ नहीं खड़े हुए, उनसे आने वाले समय में बचकर रहना चाहिए।

पंजाबियों, उन लोगों को मुंह मत लगाओ जिन्होंने बुरे वक्त में साथ नहीं दिया। चाहे वो कोई भी हो।

पंजाब की चढ़दी कला हमेशा बनी रहे!