धीरेंद्र शास्त्री, देवकीनंदन-अनिरुद्धाचार्य पर विवाद: प्रदीप मिश्रा ने दिया बड़ा जवाब

धीरेंद्र शास्त्री, देवकीनंदन-अनिरुद्धाचार्य पर विवाद: प्रदीप मिश्रा ने दिया बड़ा जवाब

06 सितम्बर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

National Desk: प्रदीप मिश्रा ने दिया बड़ा बयान: धीरेंद्र शास्त्री और देवकीनंदन-अनिरुद्धाचार्य को संत नहीं कहा जा सकता
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने हाल ही में संतों और धार्मिक नेताओं को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संत की परिभाषा केवल बाहरी दिखावे या कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शांति और भीतर की सीतलता पर निर्भर करती है।

कौन हैं असली संत:
प्रदीप मिश्रा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दूसरों को शांति की सीख देता है, लेकिन स्वयं क्रोधी या उग्र होता है, तो वह असली संत नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि संत बनने के लिए परमात्मा के निकट होना बेहद आवश्यक है, यह केवल कथावाचक बनने या मंच पर भाषण देने से संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री और देवकीनंदन-अनिरुद्धाचार्य को संत कहने से साफ इंकार किया।

प्रेमानंद महाराज और संस्कृत:
संस्कृत न जानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भक्ति की असली भाषा प्रेम है। भाव से भगवान को भजने वाला ही परमात्मा के करीब होता है। उन्होंने प्रेमानंद महाराज की भक्ति को उदाहरण देते हुए बताया कि मीरा बाई जैसी संतों की रचनाएं आज भी लोगों के मन में गूंजती हैं, क्योंकि भाव ही सबसे महत्वपूर्ण है।

विकलांग संन्यासी और साधक:
प्रदीप मिश्रा ने विकलांग व्यक्ति को संन्यासी बनने से रोके जाने पर कहा कि पूर्व में सूरदास जी जैसे संत भी विकलांग थे। उन्होंने बताया कि संत या साधक का मूल्य भौतिक स्थिति से नहीं, बल्कि उनके मन और भक्ति से तय होता है।

हिंदू राष्ट्र पर विचार:
हिंदू राष्ट्र की मांग पर उन्होंने कहा कि यह पहले भी था, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा। केवल कुछ औपचारिक सील और ठप्पों की जरूरत होगी।

संतों के बीच झगड़े:
संतों के बीच झगड़े या विवादों पर उन्होंने कहा कि असली संत वह है जिसके भीतर संतोष और शांति हो। जब संत एकजुट रहते हैं और भाव से भक्ति करते हैं, तभी समाज को सही मार्गदर्शन मिलता है।

प्रदीप मिश्रा ने साफ किया कि कथावाचक और संत की मर्यादा में फर्क होना चाहिए। मंच पर ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए जो लोगों में गुस्सा या विवाद पैदा करें।