29 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Punjab Desk: बीबीएमबी सचिव पद पर नियुक्ति को लेकर पंजाब और केंद्र में टकराव, पंजाब ने नए मापदंडों को बताया पक्षपातपूर्ण पंजाब सरकार और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है। ताजा विवाद बीबीएमबी में सचिव पद की नियुक्ति को लेकर सामने आया है। दरअसल, राजस्थान के बलवीर सिंह सिंहमार के पदोन्नत होने के बाद सचिव का पद खाली हो गया है, जिसे भरने के लिए बीबीएमबी ने नए मापदंड तय किए हैं। इन मापदंडों पर पंजाब सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है और इसे पंजाब के अधिकारों का हनन बताया है।
क्या है मामला?
बीबीएमबी ने हाल ही में पंजाब के जल संसाधन विभाग को पत्र भेजकर सचिव पद की नियुक्ति के लिए नए नियमों की जानकारी दी। नए नियमों के अनुसार, उम्मीदवार के पास कम से कम 20 साल का अनुभव होना चाहिए और केवल सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर या एग्जीक्यूटिव इंजीनियर स्तर के अधिकारी ही इस पद के लिए पात्र होंगे।
पंजाब सरकार का कहना है कि इन शर्तों के चलते राज्य के युवा अधिकारी इस दौड़ से बाहर हो जाएंगे और इससे पंजाब को उसका उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा। पंजाब ने इसे एकतरफा निर्णय बताते हुए विरोध जताया है।
हरियाणा को फायदा, पंजाब को नुकसान?
पंजाब का आरोप है कि बीबीएमबी सचिव पद के लिए तैयार किए गए नियम खास तौर पर हरियाणा के एक अधिकारी को नियुक्त करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। इससे पहले भी सचिव पद पर हरियाणा के अधिकारियों का वर्चस्व रहा है, जबकि बीबीएमबी में पंजाब सबसे बड़ा भागीदार है।
सरकार ने यह भी कहा कि हरियाणा को बार-बार अतिरिक्त पानी दिए जाने के मुद्दे पर पहले भी विवाद हुआ है और बीबीएमबी की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं।
पंजाब की मांग
पंजाब सरकार ने बीबीएमबी चेयरमैन को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि सचिव पद के मापदंड तय करने से पहले बोर्ड की स्वीकृति जरूरी होती है, न कि चेयरमैन का एकतरफा फैसला।
पंजाब ने सुझाव दिया है कि अनुभव की अनिवार्यता को 20 साल से घटाकर 5 साल किया जाए, ताकि अधिक योग्य और युवा अधिकारी भी इस पद के लिए पात्र हो सकें। इसके अलावा, नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और सभी साझेदार राज्यों की सहमति से चलाने की मांग भी की गई है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संवेदनशीलता
सूत्रों के अनुसार, बीबीएमबी एक ऐसे अधिकारी को नियुक्त करना चाहती है जिसे पहले पंजाब के विरोध के चलते हटाया गया था। बताया जा रहा है कि उस अधिकारी की केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से सीधी पहुंच है, जिससे मामला और संवेदनशील बन गया है।
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर पंजाब और केंद्र सरकार के बीच जल संसाधनों और प्रतिनिधित्व को लेकर लंबे समय से चले आ रहे तनाव को उजागर कर दिया है। पंजाब अब इस मामले को न केवल तकनीकी, बल्कि राजनीतिक और संघीय संतुलन से जुड़ा मुद्दा मान रहा है।












