गुरुद्वारा मट्टन में की गई ‘सरबत के भले’ की अरदास
पटियाला, 25 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Punjab Desk: वर्ष 2025, श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का 350वां स्मृति वर्ष है। इस पावन अवसर पर पंजाब भाषा विभाग ने शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस की अगुवाई में “तेग बहादुर सिमरिए” शीर्षक के तहत दो दिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत श्रीनगर के निकट स्थित पंडित कृपा राम की जन्मभूमि मट्टन (कश्मीर) में ‘सरबत के भले’ की अरदास के साथ की।
पंजाब भाषा विभाग के निदेशक श्री जसवंत सिंह जफ्फर की अगुवाई में जम्मू-कश्मीर के प्रतिष्ठित पंजाबी बुद्धिजीवियों और लेखकों सहित पंजाब से गए 50 से अधिक सदस्यों वाले प्रतिनिधिमंडल ने सुबह गुरुद्वारा मट्टन साहिब में माथा टेका। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अनंतनाग के प्रधान सरदार नानक सिंह और जनरल सचिव सरदार जरनैल सिंह की अगुवाई में बड़ी संख्या में स्थानीय संगत ने प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया।
समारोह की शुरुआत म. प्रेम सिंह, म. जरनैल सिंह और भाई सुरिंदर सिंह की जत्था द्वारा भावपूर्ण कीर्तन से हुई। इसके बाद भाई राजू सिंह ने सरबत के भले की अरदास की। इस मौके पर सरदार निरंजन सिंह ने वहां के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला।
अपने संबोधन में पंजाब भाषा विभाग के निदेशक श्री जसवंत सिंह जफ्फर ने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी के पास आनंदपुर साहिब में फरियाद लेकर आने वाले कश्मीरी पंडितों के मुखिया पंडित कृपा राम जी का संबंध मट्टन से था। उनका परिवार कई पीढ़ियों से गुरु घर का श्रद्धालु रहा है। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के पश्चात पंडित कृपा राम आनंदपुर साहिब में ही बस गए और गुरु परिवार की सेवा करते रहे। खालसा पंथ की स्थापना के समय उन्होंने खंडे की पाहुल लेकर भाई कृपा सिंह नाम धारण किया और दिसंबर 1705 में चमकौर की लड़ाई में बड़े साहिबजादों और 40 सिंहों के साथ शहीद हो गए।
गुरुद्वारा कमेटी की ओर से प्रतिनिधिमंडल को बहुत प्रेमपूर्वक गुरु का लंगर छकाया गया।
चित्र विवरण:
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अनंतनाग के जनरल सचिव जरनैल सिंह, भाषा विभाग के निदेशक सरदार जसवंत सिंह जफ्फर को सिरोपा भेंट करते हुए। साथ में हैं श्रीमती बलवीर कौर पंधेर।