15 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
National Desk: छत्तीसगढ़ में आस्था और संस्कृति का संगम: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल से ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ जन-जन से जुड़ रही छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर प्रदेशवासियों को अयोध्या धाम में श्रीराम लला के दर्शन का सौभाग्य दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की प्रेरक पहल के रूप में जन-जन से जुड़ती जा रही है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली विशेष ट्रेन 15 जुलाई 2025 को रायपुर रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए रवाना होगी। इस विशेष दर्शन यात्रा को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय स्वयं हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। रायपुर संभाग के श्रद्धालुओं को लेकर रवाना होने वाली इस यात्रा के शुभारंभ अवसर पर मंत्रीगण, सांसद, विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, प्रबंध संचालक श्री विवेक आचार्य, रेलवे मंडल के डीआरएम श्री दयानंद, सीनियर डीसीएम श्री अवधेश त्रिवेदी, और आईआरसीटीसी के ग्रुप महाप्रबंधक श्री पी. राजकुमार भी मौजूद रहेंगे।
इस योजना की नींव 23 फरवरी 2024 को रखी गई थी, जब छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड और आईआरसीटीसी के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत प्रदेशवासियों को उनके जीवनकाल में एक बार अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम लला के दर्शन का अवसर देने का संकल्प लिया गया।
योजना की औपचारिक शुरुआत 5 मार्च 2024 को रायपुर से हुई थी, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पहली विशेष ट्रेन को रवाना किया। इसके बाद क्रमशः
11 मार्च को बिलासपुर संभाग से,
19 जून को सरगुजा संभाग से,
और 26 जून को दुर्ग एवं बस्तर (संयुक्त) संभाग से विशेष ट्रेनें रवाना की गईं।
इन सभी यात्राओं में श्रद्धालुओं में उत्साह और श्रद्धा का विशेष उत्सव देखा गया। बड़ी संख्या में मीडिया प्रतिनिधि, आम नागरिक, जिला प्रशासन, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड और आईआरसीटीसी के प्रतिनिधि भी इन अवसरों पर मौजूद रहे।
पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 22,100 श्रद्धालुओं ने इस योजना के तहत अयोध्या धाम जाकर श्रीराम लला के दर्शन किए। योजना के अंतर्गत आगे भी रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग-बस्तर (संयुक्त) संभागों से नियमित रूप से साप्ताहिक विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की यह अभिनव पहल केवल धार्मिक भावना को सशक्त नहीं कर रही, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक चेतना को राष्ट्रीय पटल पर गौरवपूर्ण स्थान भी दिला रही है।