क्या बाथरूम कैंपिंग वाकई मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है या सिर्फ एक नया सोशल मीडिया ट्रेंड?

14 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Health Desk:  बाथरूम कैंपिंग: Gen Z का माइंडफुल ब्रेक या मेंटल हेल्थ का संकेत?                          आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में, जहां हर वक्त किसी न किसी चीज़ का प्रेशर सिर पर होता है—चाहे वो ऑफिस की डेडलाइन हो, कॉलेज की असाइनमेंट या सोशल मीडिया का दबाव—वहां Gen Z यानी आज की युवा पीढ़ी ने एक अनोखा तरीका खोजा है खुद को थोड़ा ब्रेक देने का। इस ट्रेंड को सोशल मीडिया पर नाम मिला है—बाथरूम कैंपिंग।

क्या है बाथरूम कैंपिंग?
बाथरूम कैंपिंग सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन इसका मतलब बेहद सीधा है—जब काम, बातचीत या माहौल ज्यादा भारी लगने लगे, तो कुछ मिनटों के लिए बाथरूम में जाकर खुद को ब्रेक देना। यहां युवा अक्सर मोबाइल पर म्यूज़िक सुनते हैं, रील्स स्क्रॉल करते हैं, या कभी-कभी बस आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

बाथरूम उनके लिए एक मिनी सेफ स्पेस बन गया है, जहां वे किसी भी तरह की बाहरी हस्तक्षेप, जजमेंट या सवालों से दूर होकर खुद के साथ कुछ वक्त बिता सकते हैं।

क्यों कर रहे हैं युवा ऐसा?
Gen Z में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पहले से कहीं अधिक है। 1997 से 2012 के बीच जन्मे इस पीढ़ी के लोग अब मेंटल हेल्थ को हल्के में नहीं लेते। वे जानते हैं कि जब तनाव हावी होने लगे, तो खुद के लिए ब्रेक लेना जरूरी है।

यह ट्रेंड मज़ाक नहीं, बल्कि इस बात की पहचान है कि युवा अब रुकना सीख रहे हैं, खुद को रीसेट करने के लिए माइक्रो-मोमेंट्स बना रहे हैं।

क्या वाकई ये मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है?
गाजियाबाद जिला अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. ए.के. कुमार बताते हैं कि बाथरूम कैंपिंग एक नई शहरी प्रवृत्ति है, जो थोड़े समय के लिए राहत देने का काम कर सकती है। यह एक छोटा मानसिक विराम है जो दोबारा काम या जिम्मेदारियों की ओर फोकस करने में मदद करता है। बाथरूम को यह पीढ़ी एक नो-जजमेंट ज़ोन के तौर पर देखती है।

लेकिन क्या खतरे भी हैं?
हर चीज़ की तरह इसका भी दूसरा पहलू है। डॉ. कुमार चेतावनी देते हैं कि अगर किसी को बार-बार सामाजिक स्थिति से कटने की जरूरत महसूस हो रही है, या वह लगातार खुद को लोगों से अलग कर रहा है, तो यह चिंता, बर्नआउट या सोशल एंग्जायटी का लक्षण हो सकता है। ऐसे में बाथरूम कैंपिंग महज एक ब्रेक नहीं, बल्कि एक अलार्म बेल हो सकता है कि व्यक्ति भीतर से जूझ रहा है।

सोशल मीडिया पर क्या कह रहे हैं लोग?
इस ट्रेंड को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे modern mindfulness कह रहे हैं, वहीं कुछ इसे avoidance behavior यानी टालने वाली आदत मानते हैं। पर एक बात तय है—Gen Z आत्म-जागरूक है। वो जानती है कि उसे कब रुकना है, कब खुद को समय देना है, और कैसे अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है—even if it’s just in the bathroom.

निष्कर्ष
बाथरूम कैंपिंग को सिर्फ एक मज़ाक या सोशल मीडिया ट्रेंड मानकर टाल देना सही नहीं होगा। यह नई पीढ़ी की उस कोशिश का हिस्सा है, जहां वे अपने लिए स्पेस बना रहे हैं—एक ऐसी दुनिया में जहां लगातार प्रदर्शन और उपलब्धता की मांग है। लेकिन अगर यह आदत जरूरत से ज्यादा हो रही है, या इससे बचाव की भावना जुड़ने लगे, तो यह संकेत हो सकता है कि गहराई में कुछ और चल रहा है—ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।