04 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Sports Desk: नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में डी गुकेश की बड़ी जीत, वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को दी पहली बार मात वर्ल्ड चैंपियन और विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर मौजूद भारत के डी. गुकेश ने नॉर्वे चेस टूर्नामेंट 2025 के छठे राउंड में वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल मुकाबले में हराकर इतिहास रच दिया। यह गुकेश की कार्लसन के खिलाफ क्लासिकल चेस में पहली जीत है। इस जीत के बाद 19 वर्षीय ग्रैंडमास्टर टूर्नामेंट की अंक तालिका में 8.5 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। वहीं कार्लसन और अमेरिका के फाबियानो कारुआना 9.5 अंकों के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर बने हुए हैं।
मैच हारने के बाद कार्लसन ने गुस्से में चेस बोर्ड पर मुक्का मार दिया, जिससे मोहरे बिखर गए। हालांकि उन्होंने बाद में गुकेश से माफी मांगी और उनकी पीठ थपथपाई, लेकिन मीडिया से बात किए बिना वहां से चले गए।
इस टूर्नामेंट के पहले राउंड में इन्हीं दोनों खिलाड़ियों के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें कार्लसन ने गुकेश को हराया था। उस समय कार्लसन ने गुकेश के खेल पर टिप्पणी करते हुए कहा था, “मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लेता, क्योंकि वहां मुझे हराने वाला कोई नहीं।” इसके जवाब में गुकेश ने कहा था, “अगर मौका मिला तो खुद को उनके सामने साबित करूंगा।” और अब उन्होंने वो कर दिखाया।
गुकेश का शतरंज में अब तक का सफर
गुकेश ने दिसंबर 2024 में सिंगापुर में आयोजित वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराकर खिताब अपने नाम किया था। वह 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने। इससे पहले रूस के गैरी कास्पारोव ने 1985 में 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था।
इस ऐतिहासिक फाइनल में गुकेश ने 14वें गेम में डिंग लिरेन को हराया। चैंपियनशिप का फाइनल 25 नवंबर से शुरू होकर 11 दिसंबर तक चला और इसमें कुल 13 गेम खेले गए।
चेस ओलिंपियाड में भी भारत को जिताया
गुकेश की अगुआई में भारत ने पिछले साल सितंबर में बुडापेस्ट में आयोजित चेस ओलिंपियाड में ओपन और विमेंस दोनों कैटेगरी में जीत हासिल की थी। ओपन कैटेगरी में फाइनल मुकाबला जीतकर गुकेश ने भारत को खिताब दिलाया था।
शतरंज के प्रमुख फॉर्मेट
शतरंज तीन मुख्य फॉर्मेट में खेला जाता है:
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क्लासिकल चेस: इसमें खिलाड़ियों को 90 से 120 मिनट तक का समय मिलता है। यह सबसे पारंपरिक और रणनीतिक फॉर्मेट है।
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रैपिड चेस: इसमें हर खिलाड़ी को 60 मिनट से कम समय मिलता है।
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ब्लिट्ज़ चेस: इसमें समय सीमा 10 मिनट या उससे कम होती है, जिसमें बहुत तेज चालों की जरूरत होती है।
डी. गुकेश की यह जीत उनके करियर की बड़ी उपलब्धियों में से एक है और यह दर्शाती है कि भारतीय शतरंज का भविष्य कितना उज्जवल है।