16 मई, 2025 Fact Recorder
आजकल गलत खानपान, सुस्त जीवनशैली और मोटापा व इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसी मेटाबॉलिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिनके चलते नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि हम अपने शरीर में क्या डाल रहे हैं—और खासकर कौन-सा कुकिंग ऑयल इस्तेमाल कर रहे हैं।
कुकिंग ऑयल हमारी डाइट का अहम हिस्सा होता है और इसमें मौजूद फैट्स की क्वालिटी व मात्रा लिवर की सेहत पर सीधा असर डालती है। सही तेल न केवल लिवर में चर्बी जमने से रोकते हैं, बल्कि सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी नियंत्रित रखते हैं।
1. एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (EVOO)
यह सबसे ज्यादा रिसर्च और सिफारिशों वाला तेल है, खासकर उन लोगों के लिए जो NAFLD से ग्रस्त हैं। इसमें 73% तक ओलिक एसिड होता है, जो सूजन कम करता है और इंसुलिन की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें पॉलिफेनोल्स और विटामिन E जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिवर को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाते हैं। एक 2021 की स्टडी के अनुसार, EVOO का सेवन लिवर फैट को कम करने और ALT, AST जैसे एंजाइमों में सुधार लाने में मदद करता है।
2. अलसी का तेल (Flaxseed Oil)
इसमें अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) नामक प्लांट-बेस्ड ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो लिवर की सूजन को कम करता है और फैट जमा होने से रोकता है। यह ट्राइग्लिसराइड्स को घटाने और HDL (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाने में मदद करता है। यह त्वचा को भी हाइड्रेट रखता है और मूड व मेमोरी सुधारता है।
3. कोल्ड-प्रेस्ड कैनोला ऑयल
इस तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। रिसर्च बताती है कि संतृप्त फैट की जगह यदि कैनोला ऑयल का प्रयोग किया जाए, तो लिवर एंजाइमों में सुधार हो सकता है और फैट का जमाव कम हो सकता है।
4. MCT ऑयल (मीडियम-चेन ट्राइग्लिसराइड ऑयल)
यह तेल तेजी से शरीर में अवशोषित होकर तुरंत ऊर्जा में बदल जाता है, जिससे लिवर में फैट जमा होने की संभावना घटती है। यह खासतौर पर वज़न घटाने और मेटाबॉलिज्म सुधारने में भी मदद करता है। लेकिन इसे हमेशा सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
5. एवोकाडो ऑयल
इसमें ओलिक एसिड होता है जो हार्ट और लिवर दोनों के लिए फायदेमंद है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है। इसमें विटामिन E और कैरोटीनॉयड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो लिवर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं।
निष्कर्ष:
फैटी लिवर से बचने के लिए रिफाइंड और ट्रांस फैट्स से भरपूर तेलों की बजाय इन हेल्दी तेलों को अपनाएं। ध्यान रखें कि किसी भी तेल का सेवन सीमित मात्रा में ही करें, ताकि लिवर स्वस्थ और फिट बना रहे।