Himachal government Contract employees not being regularized Shimla | हिमाचल में अनुबंध कर्मी रेगुलर नहीं किए जा रहे: कार्मिक विभाग के आदेशों के इंतजार में विभागाध्यक्ष, अफसरशाही की लापरवाही से सैकड़ों कर्मचारी परेशान – Shimla News

हिमाचल की अफसरशाही के मुखिया प्रबोध सक्सेना

हिमाचल की व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार चहेतों को एक्सटेंशन जरूर दे रही है। मगर, अफसरशाही की लापरवाही से कमिशन पास करके अनुबंध पर लगे कर्मचारियों को रेगुलर नहीं किया जा रहा है। कार्मिक विभाग की ओर से विभागाध्यक्षों को अब तक इनके नियमितिकरण को लेकर आदे

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वहीं अनुबंध कर्मियों के नियमितिकरण को लेकर विभागाध्यक्ष सरकार के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। इस वजह से सैकड़ों कर्मचारियों का नियमितिकरण का इंतजार लंबा हो रहा है।

2 साल पूरा करने वाले कर्मचारी होते थे रेगुलर

प्रदेश में हर साल 2 साल का कॉन्ट्रैक्ट पीरियड पूरा करने वाले अनुबंध कर्मचारियों को 31 मार्च और 30 सितंबर को रेगुलर किया जाता है।

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद आर्थिक संकट की वजह से 30 सितंबर को इन्हें रेगुलर करने का निर्णय पलट दिया। इससे जो कर्मचारी छह महीने पहले यानी 1 अक्टूबर 2024 को रेगुलर होने थे, वह 31 मार्च 2025 में भी रेगुलर नहीं किए गए।

इसी तरह जिन कर्मचारियों को 31 मार्च 2025 को कॉन्ट्रैक्ट पर 2 साल पूरे हो गए हैं, वह भी नियमितिकरण के इंतजार में बैठे हैं। मगर अफसरशाही की लापरवाही से तीन अप्रैल को भी आदेश जारी नहीं किए, जबकि पूर्व सरकारों में अनुबंध कर्मियों के नियमितिकरण को लेकर कार्मिक विभाग मार्च में ही सभी विभागाध्यक्षों को आदेश जारी करता था।

कार्मिक विभाग मार्च में करता था आदेश

कार्मिक विभाग सर्कुलर के माध्यम से विभागाध्यक्षों को दो साल पूरा करने वाले कर्मचारियों की लिस्ट तैयार करने और रेगुलर करने के आदेश देता था। यह एक्सरसाइज इस बार अब तक नहीं की गई। इससे प्रदेश से अनुबंध कर्मी परेशान है और अपने विभागाध्यक्ष से जल्द नियमितिकरण की मांग जरूर कर रहे हैं।

वित्त विभाग को भेजी फाइल

कार्मिक विभाग ने एक इनके नियमितिकरण को लेकर एक फाइल वित्त विभाग की मंजूरी को जरूर भेजी है। वित्त विभाग की मंजूरी आने के बाद ही आदेश जारी किए जाएंगे।

शुरू में 8 साल का कॉन्ट्रैक्ट टेन्योर

बता दें कि हिमाचल में कमिशन पास करके नौकरी पाने वाले सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को अनुबंध पर तैनाती दी जाती है। यह व्यवस्था पूर्व सरकारों ने आर्थिक बोझ से बचने को शुरू की। जब कॉन्ट्रेक्ट पॉलिसी बनाई गई थी तब अनुबंध काल 8 साल का था। इसके बाद चुनावी सालों में पूर्व सरकार ने इसे घटाकर पहले 6 साल, 5 साल, 3 और अब 2 साल कर दिया है।