मिस यूनिवर्स के 25 साल: लारा दत्ता से वहीदा रहमान ने पूछा — क्या खूबसूरत होना मुश्किल है?

12मई, 2025 Fact Recorder 

25 साल पहले बनी थीं मिस यूनिवर्स, लारा दत्ता की बात आज भी दिल जीत रही है — ‘खूबसूरत होना मुश्किल नहीं, अगर सुंदरता भीतर से हो’ आज से 25 साल पहले, लारा दत्ता ने मिस यूनिवर्स 2000 का ताज अपने नाम किया था। वह सुष्मिता सेन के बाद इस खिताब को जीतने वाली दूसरी भारतीय बनी थीं। प्रतियोगिता के दौरान, दिग्गज अभिनेत्री वहीदा रहमान ने लारा से पूछा था —

“क्या वाकई खूबसूरत इंसान होना बहुत मुश्किल होता है?”

लारा का जवाब न केवल मंच पर तालियाँ बटोर गया, बल्कि अब जब इस जीत की सिल्वर जुबली मनाई जा रही है, तो उनके उस जवाब का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

लारा का जवाब:

“मैम, जैसा कि एक अन्य प्रतियोगी ने कहा था, सुंदरता आपके अंदर होती है।
अगर आप अंदर से सुंदर हैं, अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं,
आत्म-विश्वास और दृढ़ निश्चय रखते हैं,
मुश्किलों का सामना करने की ताक़त रखते हैं,
और एक सपना है जिसे आप जीत में बदलना चाहते हैं—तो यही आपको वाकई में सुंदर बनाता है।
और ये इतना मुश्किल नहीं है।”

“बात बाहरी सुंदरता की नहीं, अंदरूनी ताकत की थी” — डेलना राजेश, साइकोथेरेपिस्ट

इस जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए, साइकोथेरेपिस्ट और लाइफ कोच डेलना राजेश ने कहा कि लारा ने जो कहा, वो बाहरी सुंदरता नहीं बल्कि आत्मबल और आत्म-सम्मान की बात थी

“वह सुंदरता जो ना तो उम्र से घटती है,
ना असफलता से डरती है,
और ना ही लोगों की राय से कमजोर होती है।
ऐसी सुंदरता जिसे किसी फिल्टर या तारीफ की ज़रूरत नहीं होती।”

लेकिन ज्यादातर महिलाओं को यह सिखाया ही नहीं गया

डेलना के अनुसार, अधिकांश महिलाएं यह सोचकर बड़ी होती हैं कि उनकी कीमत उनके रूप और सलीके से जुड़ी है, न कि उनके आत्मबल या बुद्धिमत्ता से।

“धीरे-धीरे सुंदरता एक बोझ बन जाती है।
वे उम्र से डरने लगती हैं,
हर वक्त ‘परफेक्ट’ दिखने की कोशिश करती हैं,
और अपने असली अस्तित्व से कट जाती हैं।”

समाधान क्या है?

🔸 रूप के बाहर पहचान बनाइए
खुद से पूछिए: जब कोई नहीं देख रहा होता, तब मैं कौन हूँ? उसी “आप” को सामने लाइए।

🔸 ‘परफेक्ट’ दिखने का दबाव छोड़िए
हर बार तैयार होकर ही सामने आने की ज़रूरत नहीं।
असली मौजूदगी बनावटी सुंदरता से कहीं ज़्यादा असर करती है।

🔸 तारीफों को फिर से परिभाषित करें
“आप उम्र के हिसाब से अच्छे दिखते हैं” की बजाय कहें,
“आपमें गहराई और ताकत झलकती है।”

“सुंदरता कोई लक्ष्य नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया है”

लारा दत्ता के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि असली सुंदरता कोई चीज़ नहीं जिसे हासिल करना है,
बल्कि वह एक भावना है, जो भीतर से पैदा होती है

“जब बाहरी दुनिया के मापदंड तय करते हैं कि आप सुंदर हैं या नहीं,
तब खूबसूरत बनना मुश्किल हो सकता है।
लेकिन जब आप खुद की परिभाषा से सुंदरता को जीते हैं —
साहस, विश्वास और करुणा के साथ —
तब वह सुंदरता अडिग हो जाती है।”